Saturday 27 February 2016

// "सत्यमेव जयते" .. मोदी जी "झूठमेव भजते" ....//


"सत्यमेव जयते" भारत का 'राष्ट्रीय आदर्श वाक्य' है, जिसका अर्थ है- "सत्य की सदैव ही विजय होती है" .. और इसलिए इसका आदर करना हर देशवासी और हमारे प्रधानमंत्री का दायित्व है ....

और इसका दुरपयोग या अनादर करना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता ....
पर मोदी जी ने शायद मर्यादाओं का उल्लंघन कर दिया है ....

२४ तारिख को स्मृति ईरानी ने संसद में एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने बसपा की मायावती के एक प्रश्न के जवाब में यह कह दिया था कि - "मायावती जी अगर आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होंगी तो सिर काटकर आपके चरणों में रख देंगे" .... 

क्या डॉयलॉग था भाई .... धाँसू डॉयलॉग - निहायत भारी भरकम फ़िल्मी .... और चालू .... और शायद ऐसे घटिया डॉयलॉग से परिपूर्ण भोंडी ओजस्विता की ओछी एक्टिंग के साथ दिए गए उस भाषण को संसद की मर्यादा के खिलाफ नज़रअंदाज़ किया जाता तो बेहतर होता ....

पर स्मृति ईरानी जी के प्रशंसक मोदी जी ने अपने पद की मर्यादा का भी ध्यान रखे बगैर उस भाषण को 'रीट्वीट' कर दिया - और वो भी इस कमेंट के साथ कि - "सत्यमेव जयते" ....

और "सत्यमेव जयते" यह है कि कल स्मृति ईरानी ने बहस का उत्तर दिया और मायावती के प्रश्न के जवाब भी - पर उसके बाद संसद में मायावती जी ने स्पष्ट कह दिया कि वो स्मृति के जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं - इसलिए अब स्मृति ईरानी अपने कहे पर अमल करें ....

वैसे तो मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देता - पर चूँकि मोदी जी ने इस विषयक कुछ प्रतिक्रिया दी थी इसलिए मेरी प्रतिक्रिया भी देना बनती है .... इसलिए मोदी की प्रतिक्रिया के परिप्रेक्ष्य में मेरी प्रतिक्रिया ....

यदि "सत्यमेव जयते" यानि सत्य की जीत होती है तो मोदी जी बताइये स्मृति ईरानी अपना सिर कलम कर मायावती के चरणों में रख देंगी या नहीं ?? .... या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि स्मृति ईरानी भी आपकी ही जैसी "जुमलेबाज़" हैं .. और हम मान लें कि मोदी जी की स्मृति क्षीण हो जाएगी और वो अपने ट्वीट का सार भी शनैः शनैः भूल जाएंगे ....

वैसे स्मृति ने "सत्यमेव जयते" कि अर्थी निकालते हुए सदन में ही एक झूठा निर्लज्ज टेका दे दिया था और गजब की पलटी मारते हुए कह दिया था कि - "मैंने बसपा के सभी नेताओं कार्यकर्ताओं से कहा था अगर जवाब संतोषजनक ना लगे तो मेरा सिर काटकर ले जाएं" ....

और चूँकि स्मृति के दोनों बयान मैंने स्वयं टीवी पर लाइव सुने हैं इसलिए मैं पूरे होशो हवास में ये मानता हूँ कि स्मृति "झूठी" हैं और इसलिए इस संदर्भ में मोदी जी का कथन "सत्यमेव जयते" शर्मनाक निरूपित होता है ?? ....

और इसलिए मेरा कथन है कि -  "सत्यमेव जयते" .. मोदी जी "झूठमेव भजते" .... यानि सत्य की सदैव ही विजय होती है पर मोदी जी सदैव ही झूठ को भजते हैं ....

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