Monday 11 July 2016

// मोदी जी !! कांग्रेस मुक्त भारत की हवस - या - आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर की चाह ?? ..//


जम्मू-कश्मीर एक बेहद जटिल संवेदनशील नाज़ुक बहुआयामी महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है .... और मानना होगा कि एक समस्या भी .... और पाकिस्तान की कारगुजारियों के कारण ये समस्या उलझन भरी भी रही है ....

जब पलट कर देखता हूँ तो मुझे एहसास होता है कि कांग्रेस ने उपरोक्त समस्या का बखूबी सामना किया  .... और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वो सब कुछ किया जिसके परिणाम स्वरुप ही मोदी और उनके भक्त और आप और हम गर्व और संतोष से यह कहने के सक्षम बने रहे कि .... कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था है और रहेगा .... और अब तक पाकिस्तान को भी मुहंतोड़ जवाब दिए जाकर उसे भी उलझाए रखा गया ....

पर कांग्रेस से पूरा देश एकमत हो संतुष्ट भी नहीं हुआ - और सबको यदा-कदा लगता रहा कि इस पेचीदा मामले को सुलझाने के तौर तरीकों में कुछ कमियां रहीं - और शायद कांग्रेस पर तुष्टिकरण के आरोप और शंकाएं भी चिपकती रहीं .... और मादरे वतन पर मर मिटने जैसी लफ़्फ़ाज़ी करने वालों की गालियां भी पड़ती रहीं ....

और इन सबके बीच उदय हुआ मोदी जी का .... जो पाकिस्तान को ललकारते थे और चिल्ला चिल्ला हमें आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर का विश्वास दिलाते थे .... लोगों ने विश्वास किया और मोदी को मौका दिया ....

पर मोदी ने सब कुछ गुड़-गोबर कर दिया लगता है .... जम्मू-कश्मीर समस्या विकराल हो नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है .... और मोदी आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर पर कार्य करने के बजाय कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में और केजरीवाल को निपटाने में अपनी सीमित योग्यता खपाते हुए दिख रहे हैं .... उधर पाकिस्तान उन्मुक्त होता जा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमें नीचा दिखा रहा है ....

इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी गंगा जमुनी तहजीब नष्ट हो रही है .. आपसी विश्वास और भाईचारे का लगातार क्षरण होता जा रहा है .... माहौल असहज होता जा रहा है - असहिष्णु होता जा रहा है ....

और इसलिए मैं सोच रहा हूँ कि कल्पना करें कि यदि मोदी भारत को कांग्रेस मुक्त करने में सफल हो गए - और जम्मू-कश्मीर को आतंक मुक्त करने में असफल - तो स्थितियां कितनी भयावह हो जाएंगी ....

वैसे स्थितियां तो अभी हाल में भी भयावह ही दिख रही हैं .. बस विवेचना और आंकलन के साथ पूर्वानुमान लगाने की क्षमता चाहिए ....

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मैनें पहले कभी भी ना तो ज़ाकिर नाईक या ही बुरहान वानी का नाम सुना था  .... पर एक दम से ये दोनों समस्या पटल पर उभरे और स्थितियों को बेहद बेकार और बेकाबू बना गए .. और अभी और नाईक या बुरहान उचक कर समस्या पटल पर दस्तक नहीं देंगे ऐसा मानना भी मुंह बाएं खड़ी समस्याओं से आँखे मोड़ना होगा .... और तब क्या हो सकेगा - क्या हम इसके लिए तैयार हैं ?? ....इसका समाधानकारक जवाब मुझे अभी दूर दूर तक दिख नहीं रहा है ....

अतः मोदी जी से अपेक्षा है और समझाइश भी और प्रार्थना भी कि - भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने जैसी हसरत और हवस पूरी करने के बजाय कम से कम जम्मू-कश्मीर को आतंक मुक्त करने के त्वरित प्रयास करते दिखें .... और इसके लिए शायद बेहतर होगा टकराव का रास्ता छोड़ें और सबका सहयोग और समझाइश ले आगे बढ़ें .... और पीडीपी वाली बुआ से सजग और सावधान रहें .... 

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