सर्वप्रथम आज संक्षिप्त में एक छोटा सा प्रश्न ....
यदि कोई किसी की बेरहम पिटाई कर दे या कोई किसी को भद्दी गाली दे दे .. तो ज्यादा आपत्तिजनक और गंभीर क्या - पिटाई या गाली ?? ....
और उपरोक्त प्रश्न के संदर्भ में मेरे दूसरे प्रश्न पर भी गौर करें ....
दलितों पर ना-ना प्रकार के अत्याचार पहले भी हुए और सार्वजनिक भी हुए .... और उसका विरोध भी हुआ .... पर इतना जबरदस्त नहीं हुआ जितना कल मायावती जी को एक भाजपाई द्वारा भद्दी गाली देने पर .... ऐसा क्यूँ ?? ....
मेरी विवेचना ....
स्पष्ट है कि आम जनता पिटे तो नेताओं को विशेष फर्क नहीं पड़ता .. पर यदि नेता पिटे तो उसी जनता को ज्यादा ही फर्क पड़ जाता है .. इसलिए शायद जनता ही कुछ तो गलती कर रही है ....
क्या इस पर विचार जरूरी नहीं कि स्थितियों को पलटा जाए .. यानि जब आम आदमी पर अत्याचार हो तब तो विरोध जबरदस्त और चरम पर हो ही ?? ....
मसलन बजाय कि इस बात पर दलित उग्र आंदोलन करें कि भाजपाई दयाशंकर गिरफ्तार हों - क्यों ना इस बात पर आसमान सर पर उठा लिया जाए कि गुजरात में दलितों की बेरहमी से हुई पिटाई के लिए प्रत्येक दोषी को चुन चुन कर सख्त सजा दी जाए .. और ये विरोध केवल दलित ही क्यों करें - पूरी जनता क्यों नहीं ????
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Brahma Prakash Dua
ReplyDeleteMy blog is my reaction and analysis of the current Political and Social affairs of our country - India.
Monday, 25 July 2016
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// नमो कृपा से दिल्ली में ३ विधायकों की बहुमत वाली सरकार शीघ्र ?? ....//
जिस लगन मेहनत कला गम्भीरता और तत्परता से दिल्ली में 'आप' विधायकों को नमो प्लान के तहत फंसाया जा रहा है उससे लगता है कि भक्त सोच रहे हैं कि शीघ्र ओम प्रकाश के नेतृत्व में दिल्ली में ३ विधायकों की बहुमत वाली सरकार काबिज़ हो जाएगी .. और सिद्धू बाहर से विपक्ष के नेता का पद सम्हालेंगे ....
अग्रिम बधाइयाँ !!
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