Thursday 28 July 2016

// गरीब से जुड़ा विषय था "महँगाई" - और आज संसद शालीनता से चली .. छि: शर्मनाक ..//


आज संसद में महँगाई पर बहस की बारी आ टपकी थी - शायद किसी गरीब की आह ऊपरवाले ने आंशिक रूप से सुन ली होगी ....

और देश में सबसे ज्यादा सुख सुविधा भुगत रहे हमारे सांसद आज मस्त खाए-पिए डकार मार संसद में महँगाई के मुद्दे पर मजबूरी की बहस करने के लिए अपनी-अपनी बारी पर बोलने के लिए टिके और बोले - और तत्पश्चात बिना समय गवाए चलते भी बने .... और क्या बोले ?? .. घिसा पिटा बोले .. थोड़ी भाषण वाली तेज़ आवाज़ में आराम से बोले .. लिखे हुए जुमले बोले .. अकड़ कर आंकड़े बोले .... और इस दौरान कहीं कोई हल्ला गुल्ला नहीं - कोई आक्रोश नहीं .. और बड़ी शालीनता से बहस चली .. उतनी ही शालीनता से जैसी संसद से सदैव अपेक्षित रही है ....

और आज इस बहस के कारण संसद का माहौल ही बदला बदला सा लगा - उस मच्छी बाजार हाट बाज़ार या किसी बस स्टैंड के जैसे रोज़मर्रा के माहौल से अलग .... किसी अच्छे स्कूल के अच्छे बच्चों वाली क्लास जैसा संयमित ....

पर बातें बिलकुल भी अलग नहीं थीं .... विपक्ष आज वो ही मुद्दे उठा रहा था जो कभी आज का सत्तापक्ष कभी विपक्ष में होते हुए उठाता था ..  और पक्ष आज वो ही जवाब दे रहा था जो कभी आज का विपक्ष कभी सत्तापक्ष में होते हुए देता था ....

और एक भी सत्तापक्ष के सांसद का सर शर्म से झुका नहीं दिखा - और एक भी विपक्षी सांसद के चेहरे पर शिकन नहीं दिखी .... इसलिए माहौल मुझे शालीन तो लगा .. पर शर्मनाक और दर्दनाक भी ....

क्योंकि मुझे फिर भरोसा हुआ कि आज की बहस में भाग ले सभी सांसद अपने अपने हक़ का वेतन और सुविधा साध हँसते हँसाते ससमय घर बढ़ लेंगे - एक शानदार डिनर करने के लिए .. और गरीब आज भी भूखा रहेगा .. और इसलिए वो कल भी भूखा ही रहेगा - कल की ही तरह ....

महँगाई आज तक भी बढ़ाई जाती रही - और कल भी बढ़ाई जाएगी - पूरी बेशर्मी और निर्दयता के साथ बढ़ाई जाएगी .... और ये सरकार भी ऐसे ही जाएगी जैसे पहले वाली सरकार गई थी .. पूरी बेशर्मी के साथ ईमान बेचकर अपनी जेबें भरकर ....

अब भूखे पेट गरीब के लिए आज मैं इससे ज्यादा भी क्या दुआ कर सकता हूँ - या झकोरों को इससे ज्यादा क्या बद्दुआ दे सकता हूँ ????

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

1 comment:

  1. घायल की गति घायल ही जाने। जिनका पेट भरा हो वो भूखे की हालत क्या जानेंगे ? आराम से बैठकर चर्चा करते हैं। आराम से बैठकर ही अपनी-अपनी तनख्वाह भी बढ़ा लेते हैं। गरीब, गरीब ही रह जाता है।

    मृत्युंजय
    http://www.mrityunjayshrivastava.com/

    ReplyDelete