Friday 15 July 2016

// 'लोकायुक्त' जैसे जटिल विषय में भक्तो को सोचना मना है .. "नमामि नमो" !! ....//


मध्यप्रदेश शायद भारत का एक महत्त्वपूर्ण प्रदेश है - निश्चित ही दिल्ली से ज्यादा ....
यहाँ पर एक लोकायुक्त का पद भी है .... जैसे गुजरात में भी था ....
इस पद पर अब तक जस्टिस नावलेकर कार्यरत थे ....
उनका कार्यकाल पिछले वर्ष २८ जून २०१५ को ही समाप्त होना नियत था ....
पर राज्य सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ा दिया ....
सेवावृद्धि की शर्त थी की जस्टिस नावलेकर नए लोकायुक्त की नियुक्ति होने तक या अधिकतम १ वर्ष तक इस पद पर बने रहेंगे ....
अंततः हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बिना सूचित किये २८ जून २०१६ भी आ गया - और आ के निकल भी गया ....
नए लोकायुक्त की नियुक्ति हो ना सकी ....
और ना ही जस्टिस नावलेकर की आगे सेवावृद्धि ....

और ना ही वृद्धि हुई अभी तक किसी भक्त की बुद्धी ....

और मैं सोच रहा हूँ कि मध्यप्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति तो २८ जून २०१५ को ही हो जाना थी .... पर पूरे १२ महीने से ज्यादा हो गए इस बाबत फाइल आगे बढ़ी नहीं - शायद शिवराज के पास पड़ी हो .... पड़ी ही होगी .... क्योंकि शिवराज ही तो मध्यप्रदेश के घोषित मुख्यमंत्री हैं ....

और इसलिए मैं सोच रहा था कि एक फाइल एक भ्रष्टाचार के प्रकरण में अरविन्द केजरीवाल ११ महीने तक दबा कर बैठ गए तो उनके विरुद्ध एफआईआर हुई - फिर भ्रष्टाचार के सैंकड़ों प्रकरणों को प्रभावित करने वाली एक फाइल १२ महीने से ज्यादा दबा कर शिवराज बैठे रहे तो एफआईआर क्यों नहीं ?? ....

उत्तर मैं बताता हूँ ....

भक्तों को कला आती नहीं - और विज्ञान क्या होता है पता नहीं - और गणित शायद कमज़ोर है ....

मसलन धारा ३५६ के दुरपयोग करने की कॉंग्रेसी कला क्या थी वो जान ना सके - और उत्तराखंड तथा अरुणाचल में इंदिरा की नक़ल करने में मात खा गए ....
ये काले धन का विज्ञान क्या होता है कलाकार मोदी और जेटली की कला के कारण भक्त अब तक भी कुछ भी समझ ही नहीं सके - और रामदेव को ज्ञानी और सुब्रमण्यम स्वामी तथा केजरीवाल को अज्ञानी समझते रहे ....
और ११ माह का समय १२ माह से कम होता है यह गणित भी समझ नहीं सके ....

यानि यदि आप ये सोच रहे हैं की भक्त बेवकूफ हैं - तो शायद आप सही ही सोच रहे होंगे .... क्योंकि शायद भक्तों ने कभी सोचा ही नहीं होगा कि गुजरात में वर्षों तक लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं हुई थी और अब मध्यप्रदेश में भी नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है ????

यदि इस विषयक कोई बावला भक्त आपको सोचता मिल जाए तो पूछ लीजिएगा कि - यार ये सोचने का जोखिम भरा शगल कब से पाल लिया ?? .. मोदी को ले डूबोगे क्या ?? .. क्या आपको पता नहीं कि जटिल विषयों में आपको सोचना मना है ?? .... तो चलो अब अपनी औकात पहचानों और नया नारा लगाओ - "नमामि नमो" !!

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