August 19 - 2014
"बहुनाम" में षड्यन्त्र !!!!
धर्म के ठेकेदारों ने ऊपर वाले को भी नहीं छोड़ा और उस सर्वशक्तिमान को अपने स्वार्थ के लिए इतने सारे नाम दे दिए कि अब तो वो खुद भी अपना असली नाम भूल गया होगा ....
ईश सांई ईश्वर खुदा जीसस भगवान अल्लाह ॐ गॉड रब परमात्मा रब्बा अल्लाह प्रभु परवरदिगार मालिक परमेश्वर विधाता आदि आदि ....
और इतिहास गवाह है कि इस तरह इन धर्म के ठेकेदारों ने ऊपर वाले के टुकड़े टुकड़े कर उसकी भी रेड़ मार दी और उसके अनन्य नामों पर अपनी अपनी दुकाने खोल खूब लूट खसोट करी और लोगों को आपस में लड़ाया भिड़ाया मरवाया कटवाया .....
और फिर नंबर आया देश का - जब पेट नहीं भरा तो इन ठेकेदारों ने देश एवं देश में रहने वालों के भी अनेक नाम दे दिए ! जैसे - इंडिया भारत इंडस हिन्दुस्तान इंडी भारती हिंदी इंडियन भारतीय हिन्दुस्तानी आदि .... और लेटेस्ट में "हिन्दू" !!!! और लगे तर्क कुतर्क करने और अपने अपने हिसाब से परिभाषा देने और व्याख्या करने ....
इसी "बहुनाम" की कुप्रथा एवं कुचेष्टा के पीछे सारे षड्यन्त्र छुपे हुए हैं जो सारे झगडे की जड़ है !!!!
मैं व्यथित हो इन सब ठेकेदारों से पूछता हूँ कि जब आप बार बार खुद ही यह अकाट्य अटल सत्य मान चुके हो कि - /// ऊपर वाला एक है और हमारा देश भी एक ही है /// - फिर इतने सारे नाम क्यूँ दिए और क्यूँ दिए ही जा रहे हो ????
क्या किसी ने अपने पिताजी और माताजी को अनेक नाम देने की कभी कुचेष्टा करी ????
जब वो एक ही है तो फिर हिन्दुओं के ठेकेदारों को अल्लाह से और मुसलामानों के ठेकेदारों को ईश्वर नाम से एलर्जी क्यूँ ????
जब देश एक है तो "हिन्दू" और "हिन्दुस्तानी" के नाम पर वैमनस्य फैलाने के कुत्सित भरपूर अनियंत्रित प्रयास अभी क्यूँ ????
धर्म के ठेकेदारों - कृपया सुधर जाओ - और अंततः हम सामान्यजन को उस उपर वाले सर्वशक्तिमान की छत्रछाया में हमारी इस मातृभूमि पर सुख चैन गर्व और भाईचारे से रहने दो !!!!
हम "हिन्दू" हैं या नहीं - और हैं तो क्यों और नहीं तो क्यों - इसका निर्णय हमें ही करने दो !!!! शायद हममें आपसे ज्यादा समझदारी है !!!!
"बहुनाम" में षड्यन्त्र !!!!
धर्म के ठेकेदारों ने ऊपर वाले को भी नहीं छोड़ा और उस सर्वशक्तिमान को अपने स्वार्थ के लिए इतने सारे नाम दे दिए कि अब तो वो खुद भी अपना असली नाम भूल गया होगा ....
ईश सांई ईश्वर खुदा जीसस भगवान अल्लाह ॐ गॉड रब परमात्मा रब्बा अल्लाह प्रभु परवरदिगार मालिक परमेश्वर विधाता आदि आदि ....
और इतिहास गवाह है कि इस तरह इन धर्म के ठेकेदारों ने ऊपर वाले के टुकड़े टुकड़े कर उसकी भी रेड़ मार दी और उसके अनन्य नामों पर अपनी अपनी दुकाने खोल खूब लूट खसोट करी और लोगों को आपस में लड़ाया भिड़ाया मरवाया कटवाया .....
और फिर नंबर आया देश का - जब पेट नहीं भरा तो इन ठेकेदारों ने देश एवं देश में रहने वालों के भी अनेक नाम दे दिए ! जैसे - इंडिया भारत इंडस हिन्दुस्तान इंडी भारती हिंदी इंडियन भारतीय हिन्दुस्तानी आदि .... और लेटेस्ट में "हिन्दू" !!!! और लगे तर्क कुतर्क करने और अपने अपने हिसाब से परिभाषा देने और व्याख्या करने ....
इसी "बहुनाम" की कुप्रथा एवं कुचेष्टा के पीछे सारे षड्यन्त्र छुपे हुए हैं जो सारे झगडे की जड़ है !!!!
मैं व्यथित हो इन सब ठेकेदारों से पूछता हूँ कि जब आप बार बार खुद ही यह अकाट्य अटल सत्य मान चुके हो कि - /// ऊपर वाला एक है और हमारा देश भी एक ही है /// - फिर इतने सारे नाम क्यूँ दिए और क्यूँ दिए ही जा रहे हो ????
क्या किसी ने अपने पिताजी और माताजी को अनेक नाम देने की कभी कुचेष्टा करी ????
जब वो एक ही है तो फिर हिन्दुओं के ठेकेदारों को अल्लाह से और मुसलामानों के ठेकेदारों को ईश्वर नाम से एलर्जी क्यूँ ????
जब देश एक है तो "हिन्दू" और "हिन्दुस्तानी" के नाम पर वैमनस्य फैलाने के कुत्सित भरपूर अनियंत्रित प्रयास अभी क्यूँ ????
धर्म के ठेकेदारों - कृपया सुधर जाओ - और अंततः हम सामान्यजन को उस उपर वाले सर्वशक्तिमान की छत्रछाया में हमारी इस मातृभूमि पर सुख चैन गर्व और भाईचारे से रहने दो !!!!
हम "हिन्दू" हैं या नहीं - और हैं तो क्यों और नहीं तो क्यों - इसका निर्णय हमें ही करने दो !!!! शायद हममें आपसे ज्यादा समझदारी है !!!!
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