Sunday 24 August 2014

निर्जीव कुर्सी को क्यूँ कोसना ? आसीन जीवित बिगड़ैल का इलाज क्यूँ नहीं ??

August 24 - 2014
निर्जीव कुर्सी को क्यूँ कोसना ? आसीन जीवित बिगड़ैल का इलाज क्यूँ नहीं ??
हमेशा से कहा जाता रहा है कि जब व्यक्ति सत्ता की कुर्सी पर बैठ जाता है तो कुर्सी उसे बिगाड़ देती है - उसमे तमाम दुर्गुण आ जाते हैं जैसे - घमंड लालच असहिष्णुता भ्रष्टाचार निरंकुशता चालाकी निकम्मापन आदि ....
वर्तमान सत्तासीनों के आचरण से प्रथम दृष्टया यह सही भी लगता है - पर अब मैं बदलती परिस्थितियों में इसे सही नहीं मानता और एक नया परिदृश्य देखता हूँ ....
मुझे लगता है कि अब ज्यादातर घमंडी लालची असहिष्णु भ्रष्ट निरंकुश चालाक निकम्मा टाइप बिगड़ा व्यक्ति ही सत्ता की कुर्सी तक पहुँच उस पर आसीन हो सकता है या हो पाता है .... और नाहक ही बेचारी कुर्सी बदनाम !!!!
और तो और इसके उलट मेरा तो यहाँ तक सोचना है कि ऐसा बिगड़ा दुर्गुणी व्यक्ति भी जब कुर्सी पर बैठता है तो कभी कभार कुर्सी की बदौलत ही सौम्यता सभ्यता शिष्टाचार का परिचय देने की कोशिश या नाटक करता है - या शायद अपने आप को नियंत्रित करने की कोशिश भी करता है ....
अतः मैं सोचता हूँ कि बेचारी निर्जीव कुर्सी को यूं ही बेकार कोसने के बजाय कुर्सी पे बैठे बिगड़े दुर्गुणी व्यक्ति का ही इलाज क्यूँ नहीं - उससे निजात पाने के उपाय क्यूँ नहीं - उसे अपदस्थ करने के प्रयास क्यूँ नहीं ????
और कुछ नहीं तो कम से कम खुल के निंदा ही कर राष्ट्रहित में अपना आंशिक योगदान तो दिया ही जाना चाहिए !!!! है ना !!!!

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