Friday 15 August 2014

प्रवचन अच्छा था >> भाषण का पुट था >> जुमले अच्छे थे >> सेवक की सेवा का प्रमाण नहीं था >> साम्प्रदायिकता पर वक्तव्य धांसू था पर विपरीत क्रियाकलापों के रहते बेअसर था >> सामाजिक मुद्दों पर वक्तव्य धांसू एवं स्वागतयोग्य थे - एवं समाज को अमल भी करना चाहिए - पर शासक / सरकार के रोल एवं जवाबदारी के खुलासे का अभाव था >> शौचालय सम्बंधित घोषणा ; सांसद आदर्श ग्राम योजना ; प्रधानमंत्री जन धन योजना स्वागतयोग्य थी - पर महंगाई गरीबी भ्रष्टाचार पाकिस्तान एवं किये गए वादों तथा 'अच्छे दिन' के बारे में चुप्पी निंदनीय थी >> सटीक वक्तव्य कि - बड़े बड़े वादे कर पूरा नहीं करने से जनता में रोष उत्पन्न होता है - जले पे नमक सा लगा >> भाषण से विदेशों में भारत की छवि पर प्रतिकूल असर संभावित ....
और अंतिम टिप्पणी - मेरी पीड़ा !! काश मैं प्रधान सेवक पर विश्वास कर खुश हो पाता !!!!

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