Saturday 23 August 2014

'विदित मान्य स्वयंभू तानाशाह' से भी बदतर और ख़तरनाक कौन ????

सरकार के समस्त निर्णयों में अपना एकाधिकार स्थापित कर लेना - मरणासन्न हारे हुए विपक्ष को उचित अनुचित तरीके अपनाकर पूर्ण रूपेण नेस्तनाबूद कर देना - पार्टी में अपना वर्चस्व स्थापित कर लेना - केवल स्वार्थवश गलत प्रकार के लोगों को भी पार्टी में ले लेना - सही गलत तरीकों से हर हालत में चुनाव जीतने को प्राथमिकता देना - वोट राजनीति के तहत साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देना या कम से कम लगाम न लगाना - सभी संवैधानिक संस्थाओं के स्वार्थवश पर क़तर देना - स्थापित मर्यादाओं का निर्वहन नहीं करना .... और अभी तक एक ऐसा निर्णय नहीं जो जनहित या गरीब हित में हो - और एक ऐसा कदम नहीं जो किये वादों या आश्वासन को पूरा करता दिखता हो - और एक ऐसा कदम नहीं जो स्वयं के चमचों या आकाओं या समर्थकों या भ्रष्टों या बाहुबलियों या गुनहगारों के खिलाफ हो .....
मुझे कुछ अच्छा अंतःबोध नहीं हो रहा है - बल्कि कुछ भयावह सी स्थिति का आभास हो रहा है ....
मैं देशवासियों को सजग करना चाहता हूँ कि ....
//// प्रजातंत्रवादी के भेष में एक अघोषित छद्म तानाशाह या मात्र स्वार्थी ही सही - एक विदित मान्य स्वयंभू तानाशाह से भी बदतर और खरतनाक हो सकता है ////

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