Friday 1 August 2014

आज के "'गोपीचंद जासूस' !!!!

ये गडकरी जी भी न खुद किसी जासूस से कम नहीं दिखते - आज यदि राज कपूर होते और उन्हें वही 'गोपीचंद जासूस' फिल्म बनानी होती तो मैं दावे से कहता हूँ कि वो खुद के बजाय गडकरी को ही ये रोल देते !!!!
अरे नहीं तो आप स्वयं विचार करें कि सवा करोड़ हिन्दुस्तानियों में अमेरिका ने केवल गडकरी को ही क्यूँ चुना जासूसी के लिए ?
पर अब पेंच उलझ गया है ....
पहले सूत्र बता रहे थे कि गडकरी की जासूसी हुई - पर फिर गडकरी ने स्वयं कह दिया कि मेरी जासूसी नहीं हुई .... और यदि नेता स्वयं के बारे में कुछ कहता है तो इस देश की महान परिपाटी अनुसार वो तो सत्य माना ही जाता है ... और इसलिए मामला ठन्डे बस्ते जाता दिखा !!!!
लेकिन तुरंत बाद सूत्र एवं कयासबाज़ ताल ठोंक के कह रहे थे कि गडकरी की जासूसी हुई - पर एक बार फिर गडकरी ने कह दिया मेरी जासूसी नहीं हुई .... और सरकार ने भी फुल्टू टेका दे दिया कि जब स्वयं गडकरी ने कह दिया कि मेरी जासूसी नहीं हुई तो इसके मायने हैं कि गडकरी की जासूसी नहीं हुई ... बस ! और इसलिए मामला फिर ठन्डे बस्ते !!!!
पर साहब गजब हो गया इस सरकार के पागलपन की तो हद्द ही हो गयी .... बड़ी मशक्कत के बाद
सरकार ने मामले को येन केन प्रकारेण ठंडा किया ही था कि सरकार ने अमेरिका को चेतावनी जारी कर दी कि - भारत को जासूसी बर्दाश्त नहीं है !!!!
लो कर लो बात - किये कराये पर पानी फेर दिया - क्यूंकि अब लोग पूछेंगे ही भाई कि जब जासूसी हुई ही नहीं तो बेचारे निरीह अमेरिका को बिलावजह क्यूँ डपट रहे हो ????
खैर अब तो ये मामला उलझ ही गया है ... और इतना उलझ गया है कि सीबीआई अब कुछ नहीं कर सकेगी ... अब तो सत्य पता लगाने के लिए जासूस ही लगेंगे ...
तो मेरा सुझाव है कि दिल्ली में दो और नेता जो बिलकुल जासूस टाइप दिखते हैं और वैसा व्यवहार भी करते हैं क्यों न उनको ये जासूसी का काम सौंपा जाय ?? जी हाँ ये नेता हैं विजय जॉली और नलिन कोहली ..... हो जाय दूध का पानी और पानी का दूध .... है ना ?@#$%?

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