Monday 30 March 2015

//// लड़ाई बुज़दिलों के बस की नहीं - और लड़ाई हमेशा हानिकारक हो ऐसा भी नहीं....////


जब भी दो पक्षों में सार्वजनिक रूप से लड़ाई होती है तो बुद्धिजीवियों या एक वर्ग विशेष की भूमिका भी बड़ी विशिष्ट हो जाती है .... लड़ना नहीं चाहिए - लड़ाई में दोनों का नुक्सान होता है - घर की बात घर में सलटानी चाहिए .... आदि इत्यादि अनादि !!!!

'आप' में भी लड़ाई हुई - और गजब हुई और खुल्लमखुल्ला हुई .... और इसलिए अपेक्षानुसार निंदा भी हुई रोष भी प्रकट हुआ हताशा का इज़हार भी हुआ और मज़ाक भी खूब बना - परउपदेश अनुसार नुक्सान भी हुआ .... और कई लोगों ने तड़प कर या लपक कर यहाँ तक लिख मारा कि - प्रजातंत्र की ह्त्या हो गई - केजरीवाल जीत गए 'आप' हार गई - 'आप' भी अन्य पार्टियों की तरह हो गई - और उसके पतन की शुरुआत हो गई - कार्यकर्ताओं के दिल टूट गए - दिल्लीवासियों की आशाओं की वाट लग गई .... आदि !!!!

मैं मान लेता हूँ कि उपरोक्त सभी बातें सहीं हैं - पर फिर मैं प्रश्न करता हूँ कि जो सत्यानाश हुआ वो तो सत्य है - यानि केजरीवाल भूषण-यादव में झगड़ा हुआ - और नुक्सान हुआ आदि .... पर इस सत्य के परे भी कोई क्यों नहीं जाता ?? .... क्या अब ये जरूरी नहीं कि झगडे के परिणामों को ज़रा बाजू कर इस निर्णय पर भी पहुंचा जाए कि इस झगडे के दोषी केजरीवाल थे या भूषण-यादव थे ?? .... और यह भी सोचा जाए कि यदि केजरीवाल जीत गए और 'आप' हार गई तो क्या बुरा हुआ ?? आप क्या चाहते थे कि केजरीवाल हार जाए और 'आप' जीत जाए ?? क्या केजरीवाल की हार के साथ 'आप' की जीत संभव थी ?? क्या भूषण-यादव की जीत होनी थी - क्या उस जीत में 'आप' की जीत होती ?? आदि !!!!

थोड़ा और दिमाग का दहीं करें और विचार करें - ये भारत पाकिस्तान क्यों लड़ते रहते हैं ?? कितना नुक्सान हो रहा है .... तो क्या कोई हिन्दुस्तानी ये कहता है कि यार भारत की गलती है जबरदस्ती लड़ रहा है - या दोनों की गलती है - दोनों मरेंगे - नहीं ना !! .... हर भारतीय क्या कहता है ?? यही ना कि - पाकिस्तान गलत है - लड़ाकू है - अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा - निपटा दो साले कमीन को .... और ऐसा कह वह देशभक्ति का परिचत दे देता है - है ना !!!!

यानी अब ये बात तय होती है - कि यदि दो पक्षों में लड़ाई हो ही रही है तो चिल्लाते ही रहना कि "मत लड़ो रे मत लड़ो रे तुम दोनों मरोगे दोनों पछताओगे" .. ये श्रेयस्कर और प्रभावकारी या उचित नहीं है !!!! .... और उचित ये है कि एक सीमा समय के बाद अपने दिल दिमाग का इस्तेमाल कर ये जाना जाए कि लड़ाई कर रहे कौन से पक्ष की गलती है - और फिर गलत पक्ष को ललकारा जाए रोका जाए लताड़ा जाए और सच्चे का साथ दिया जाए ??

मित्रो !! मेरे अनुसार मैंने तो आज तक किसी से गलत व्यवहार किया नहीं और किसी से लड़ने को आतुर हुआ नहीं - पर हाँ जब कोई टुच्चा मुझसे आकर सींग लड़ा ही बैठा तो चिंतन शांति संयम को लात मार उसे ठिकाने लगा कर ही चैन की साँस ली - और अपने इसी स्वभाव के अनुरूप मैंने अब ये चिंतन बंद कर दिया है कि केजरीवाल और भूषण-यादव में कौन सक्षम कौन अक्षम कौन काबिल कौन नालायक किसका योगदान ज्यादा किसका कम आदि .... पर मैं ये सोच रहा हूँ कि रगड़ा कौन कर रहा था और झगड़ा किसने किया और गलती किसकी थी - और बड़ी आसानी से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि 'आप' के इस रगड़े झगडे और अंततः लड़ाई में मुख्य और अधिक और पहली गलती तो भूषन-यादव की ही थी - और इसलिए जिस तरह से भी केजरीवाल ने लड़ाई लड़ी है और उन्हें ठिकाने लगाया है वो प्रशंसनीय है और राहत देने वाली बात है ....

और भविष्य के लिए मैं चाहूँगा कि कोई लड़ाई न हो - पर यदि हो तो निर्णायक ही हो - रगड़ा नहीं झगड़ा ही हो - गलत पक्ष को फिर ठिकाने लगाना ही होगा - यही लड़ाई के मज़े हैं यही लड़ाई की तासीर है - और यही लड़ाई की मर्यादा भी है !!!! लड़ाई हारने के लिए नहीं जीतने के लिए ही लड़ी जाती है !!!!
लड़ाई बुज़दिलों के बस की नहीं - और लड़ाई हमेशा हानिकारक हो ऐसा भी नहीं - कदापि नहीं !!!!
#AAPWar

1 comment:

  1. I was always an AAP fan and i liked your blog also about the same . But this is really disgusting; The way Prashant and Yadav have been treated. This is now only one man's party. There is no room for dissension in this party. Just like any other party. The more you try to defend AK the more pathetic you sound, unfortunately. No point in such irrational hero worshiping.

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