Saturday 28 March 2015

//// ना तोड़ेंगे ना छोड़ेंगे - सुधरेंगे सुधारेंगे .... क्यों भाई शर्म बेच खाई क्या ?? ////


आज प्रशांत भूषण - योगेन्द्र यादव - आनंद कुमार - अजीत झा को राष्ट्रीय कार्यकारणी से निकाल दिया गया .... निकलने के बाद इस गुट द्वारा विलाप किया जा रहा है कि - आज लोकतंत्र की हत्या हो गई - हमारे साथ मार पीट की गई - हमें अपनी बात नहीं रखने दी गई - पूरी कार्यवाही असंवैधानिक रही - इत्यादि !!!!
पर इन्तहा देखिये जनाब !! इसके बाद भी डायलॉग दे रहे हैं - "ना तोड़ेंगे ना छोड़ेंगे - सुधरेंगे सुधारेंगे" .... गजब !!!!

उपरोक्त डायलॉग पर मेरे डायलॉग >>>>
> बोल रहे हो ना तोड़ेंगे >> और पार्टी तो टूट ही गई - और आपने ही तोड़ी है - नवाज़ शरीफ ने तो तोड़ी नहीं है - ओबामा को तो पता भी नहीं होगा ....
> बोल रहे हो ना छोड़ेंगे >> और पार्टी ने तो तुम से पिंड छुड़ा ही लिया है - अब तुम्हारी औकात छोड़ने या ना छोड़ने कि बची ही कहाँ है ??
> बोल रहे हो सुधरेंगे >> दिखता तो नहीं - पर ठीक है सुधरना है तो सुधरते रहना - अच्छी बात है - मना कौन करता है - बेदी या बिन्नी या इल्मी ??
> बोल रहे हो सुधारेंगे >> हा ! हा !! हा !!! किसको ? केजरीवाल को ? कैसे ? क्यों ? कब ? और किसके लिए ? क्या सुधारघर खोल लिए हो - या सुधार का कोचिंग इंस्टिट्यूट खोलने वाले हो - कितनों को सुधरोगे - अकेले केजरीवाल को या पूरी 'आप' पार्टी को ? प्यार से समझा के या मार ठोंक के ? और क्या सुधारने के बाद उन्हें ठिकाने भी लगाओगे या उसके बाद सन्यास ले लोगे ? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम भी 'फेंक' रहे हो ? या मुगालते में हो ? या पगला गए हो ? या कहीं शर्म तो नहीं बेच खाई ना ??

अरे मेरी मानो तो जितना तोड़ लिए हो उसमें संतुष्ट रहो - सम्मान के साथ पार्टी की सदस्यता से भी त्याग पत्र दे पार्टी छोड़ दो - सुधरो या ना सुधरो पर सुधारने की बात भूल जाओ - और मस्त रहो !! खुश रहो !! संपन्न रहो !! दीर्घायु हो !! .... और इन शुभकामनाओं के लिए मुझे धन्यवाद प्रेषित करो .... प्लीज !!!!
और यदि मेरी कोई भी बात दिमाग में ना घुसे तो फिर एक नई पार्टी बना लो .... कस्सम से मज़ा ही आ जाएगा .... १००% 'टंच' या 'टुच्ची' पार्टी .... है ना !!!!

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