Saturday 28 March 2015

//// क्या भूषण-यादव को स्वयं नहीं निकल जाना चाहिए था ??....////


आज 'आप' पार्टी की राष्ट्रिय परिषद की महत्वपूर्ण और बहुचर्चित मीटिंग चल रही है ....
और सभी लोगों के लिए उत्सुकता का सबसे बड़ा बिंदु था कि - भूषण-यादव को राष्ट्रिय कार्यकारिणी से निकाला जाएगा या नहीं ??

और अभी-अभी परिणाम सामने आ गया - अंततः भूषण-यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया !!!!

ऐसी परिस्थिति में मैं एक बात समक्ष में रखना चाहूँगा ....

कल उमेश वाले स्टिंग में केजरीवाल को भूषण-यादव आदि के लिए अपशब्द तक कहते सबने सुना ....
क्या भूषण-यादव को केवल इसी कारण पार्टी से या तो स्वयं नहीं निकल जाना चाहिए था - या फिर कम से कम ये माँग सार्वजनिक नहीं करनी थी कि केजरीवाल पार्टी छोड़ें ????

एक और बात .... भूषण-यादव ये आरोप लगाते ही रहे हैं कि केजरीवाल तानाशाह हैं और उन्हें ऐसे लोग बर्दाश्त नहीं हैं जो उनकी हाँ में हाँ नहीं मिला सकते .... या बकौल भूषण केजरीवाल ये भी कह चुके थे कि - "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो" .... पर जनाब साथ-साथ ये दोनों महानुभाव ये भी कहते हैं कि - "हमने कभी भी केजरीवाल को हटाने की माँग नहीं की - और आज भी नहीं कर रहे हैं" !!!! .... तो मेरा इन दोनों लात खाए बाहर किये गए दोगले नेताओं को धिक्कार इस बात पर भी है - कि आपने कम से कम केजरीवाल को हटाने की माँग क्यों नहीं की ????

और इसलिए मैं ये प्रश्न भी उठाता हूँ कि भूषण-यादव जी आप अभी तक और आगे भी क्या भुट्टे सेकने के लिए पार्टी में बने थे या बने रहना चाहते थे ?? विरोध के बावजूद भी - शीर्ष नेता की नापसंदगी के बावजूद भी - कार्यकर्ताओं के रोष के बावजूद भी - बिना पूर्ण समर्थन के बावजूद भी - अपनी बेइज़्ज़ती के बावजूद भी - आखिर आप चाहते क्या थे ????

और मित्रो !! भूषण-यादव जैसे अनेक लोगों और केजरीवाल में मैं यही बुनियादी फर्क देखता हूँ .... केजरीवाल अभी तक सबका विरोध खुल्लमखुल्ला करते आए हैं - और एक सीमित विरोध के बाद अपने रास्ते अलग करते आए हैं - भले ही वो अन्ना हों बेदी हों मोदी हों भूषण हों यादव हों या कोई और .... और इसलिए ही वो आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं .... और यदि वो ऐसा ना करते होते तो वो भी लल्लू लचर लाचार नेताओं की बहुत लंबी लाइन के अंतिम छोर पर ही तो खड़े दिखते .... नहीं क्या ??

अतः मैं आज बहुत प्रसन्न हूँ .... इसलिए कि पार्टी से गद्दार दोगलों की आवश्यक स्वागतयोग्य छुट्टी हुई है - केजरीवाल का नैसर्गिक स्वाभाविक उचित स्थापित वर्चस्व और पुख्ता हुआ है - और 'आप' पार्टी यकीनन बहुत मजबूत हुई है !!!!

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