Sunday 29 March 2015

//// शायद वो शब्द कुछ हल्के से थे ....////


अभी अभी केजरीवाल द्वारा कल 'आप' की राष्ट्रीय परिषद में दिए गए भाषण को सुना ....

सर्वप्रथम दिल दिमाग को तसल्ली हुई कि केजरीवाल वैसे ही हैं जैसा मेरा आंकलन था - और जैसी मेरी अपेक्षा और आशा थी !!!!

फिर मुझे उनके उमेश वाले स्टिंग की बातें याद हो आई .... और वो शब्द - 'साले' एवं 'कमीने' !!!!
और फिर मुझे एहसास हुआ कि ये शब्द कितने हल्के हैं ....

मुझे ये भी याद हो आया कि ऐसे शब्दों का तो फिल्मों में बहुतायत इस्तेमाल भी हो चुका है - "साला मैं तो साहब बन गया - दिल तो कमीना है जी - कमीने कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा - आदि इत्यादि !!!!

और ये भी याद हो आया कि राजनीतिक भाषणों में तो इससे भारी शब्द जैसे "नपुंसक" या "हरामज़ादे" अभी अभी तो इस्तेमाल हुए थे .... वो भी खुल्ले मंच से !!!!
   
पर इसके साथ-साथ ये भी याद हो आया कि कई सभ्य लोगों द्वारा केजरीवाल की भाषा और उपरोक्त अपशब्दों की निंदा की गई थी - विशेषकर इस परिप्रेक्ष्य में कि केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं इसलिए ऐसी भाषा .... ????

आज मुझे भी लगता है कि शायद केजरीवाल कुछ अन्य सभ्य मान्य प्रचलित शब्दों का प्रयोग करते तो बेहतर होता - मसलन - दोगले बदमाश उचक्के निर्लज्ज धोखेबाज स्वार्थी नालायक चालाक बेशरम खतरनाक अवांछनीय मौकापरस्त विश्वासघाती विभीषण जयचंद - आदि इत्यादि !!!!

पर चलो ठीक है गुस्से में कभी कभी दिमाग १००% सही काम नहीं करता है - चलता है !!!! जो कुछ हल्का बोला वो भी ठीक ठहराया जा सकता है !!!! नहीं क्या ????
#AAP

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