Thursday 5 March 2015

//// निर्भया की डॉक्यूमेंट्री .... कृपया बहस जारी रखें ....////


बहुत विवाद हो गया है - बहस चरम पर - प्रश्न अनेक ....

बलात्कारी का इंटरव्यू ? वो भी जेल के अंदर ? कैसे लिया ? क्यों लेने दिया गया ? क्या ये गलत नहीं ? इसमें गलत क्या ? नियम क्या कहते हैं ? इंटरव्यू का प्रसारण क्यों नहीं होना चाहिए ? या प्रसारण होने में हर्ज़ क्या ? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्यों नहीं ? इंटरव्यू का समाज पर बुरा असर क्यों होगा ? या क्यों नहीं होगा ? बलात्कारी को अभी तक सजा क्यों नहीं ? सरकार क्या कर रही है ? महिला आयोग एवं अन्य संगठन क्या कर रहे हैं ? पुलिस क्या कर रही है ? इंटरव्यू का प्रसारण कैसे हो गया ? क्यों कर दिया गया ? कर ही दिया गया तो अब क्या ? राजनाथ क्या सोचते हैं क्या कहते हैं ? बस्सी क्या कहते हैं ? आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? अन्य क्या सोचते हैं ?..?..?..

मित्रो ! मेरे अनुसार इतने सारे प्रश्न विवाद और बहस का मुख्य कारण ये है कि मुद्दा अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण है - पर समाधान संतोषजनक नहीं है .... और ऐसा इसलिय कि ऐसे अनेक प्रकरणों में ससमय जिसको जो करना था उसके द्वारा नहीं किया गया है .... और विशेष रूप से सरकार द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन भी नहीं हुआ है !!!!

अतः इस प्रकरण में जो विषय बिन्दु चर्चा में हैं वे हैं - मसलन - जेल नियमों का पालन - मीडिया हेतु आचार संहिता का स्पष्ट निर्धारण - अभिव्यक्ति के अधिकारों का स्पष्ट निर्धारण - पुलसिया विलम्ब हेतु जवाबदेही - एवं न्यायालयीन प्रक्रिया का सरलीकरण एवं शीघ्र निपटारा - आदि !!!!

पर जिस प्रकार की बहस हो रही है वह बहुत आशा जगाती है - और मुझे लगता है कि यदि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर इतनी स्वच्छंदता और उग्रता के साथ सब अपनी बातें और विरोध समक्ष में रखेंगे तो निश्चित ही कुछ सार्थक निकलकर आएगा !!!!

इसी परिप्रेक्ष्य में मैं एक बिंदु मंथन हेतु समक्ष में रखना चाहूँगा .... कि इंटरव्यू के प्रसारण हेतु पक्ष और विपक्ष में बात तो सब कर रहे हैं - पर इसके कारण स्पष्ट नहीं कर रहे हैं - और यह भी स्पष्ट नहीं है कि प्रसारण के विरोध के कारण सामाजिक हैं या कानूनी या फिर राजनीतिक ?? - पर प्रसारण के पक्ष में अभी तक राज्यसभा में जावेद अख्तर द्वारा जो तर्क रखा गया है वह मुझे अकाट्य ही प्रतीत होता है .... यानि इंटरव्यू में जो बलात्कारी द्वारा बलात्कार के कारणों का वर्णन किया है वही वर्णन तो अनेक नेता संसद में एवं अन्यत्र कर चुके हैं - अतः इंटरव्यू प्रसारण को प्रतिबंधित करना है तो पहले उन सभी मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों पर कार्यवाही हो जो ऊटपटांग बोल अभी भी अप्रतिबंधित हैं .... बेलगाम छुट्टे हैं - बेहूदा हैं !!!!

कृपया बहस जारी रखें ..... !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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