Wednesday 25 March 2015

//// "धर्मांतरण" पर राजनाथ सिंह के 'ट्विटर' पर प्रश्न - मेरे उत्तर एवं सलाह....////


२२/०३/१५ को प्रदेश अल्पसंख्यक आयोगों के सम्मलेन के सामने कुछ अहम प्रश्न रखने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुद 'ट्विटर' पर उन्हें सार्वजनिक किया .... और इस तरह राजनाथ जी ने #धर्मांतरण पर नई बहस छिड़वा दी ....और लो हम भी छिड़ गए .... अतः राजनाथ जी के द्वारा 'ट्विटर' पर किए गए प्रश्नों के उत्तर निम्नानुसार प्रस्तुत हैं >>>>

प्रश्न क्र.१) : - क्या धर्मांतरण जरूरी है ?
उत्तर : - हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए .... अतः धर्मांतरण हुए बगैर इस स्वतंत्रता का क्रियान्वयन कैसे संभव हो सकेगा ?? .... राजनाथ जी को उनकी भाषा में समझाता हूँ .... यदि कोई राजनीति में है और उसे अपनी पसंद की पार्टी में रहने की स्वतंत्रता है और यदि वह भाजपा छोड़ 'आप' में जाना चाहता है तो वो "पार्टीन्तरण" किए बगैर ऐसा कैसे कर सकेगा ???? .... यानि जिस तरह "पार्टीन्तरण" जरूरी है वैसे ही धर्मांतरण .... है ना !!!!

प्रश्न क्र.२) : - क्या धर्म परिवर्तन कराए बिना समाज सेवा नहीं की जा सकती ?
उत्तर : - हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता है - और हर नेता को अपनी पसंद की पार्टी में रहने की .... अतः राजनाथ बताएं कि किन्ही व्यक्तियों द्वारा जब तक भाजपा और मोदी की जय जयकार ना की जाय क्या तब तक उन व्यक्तियों का कल्याण नहीं किया जा सकता ?? ऐसा नहीं है ना ?? ..... अतः राजनाथ जी समझ लें की जिस तरह जन कल्याण के लिए पार्टी परिवर्तन जरूरी नहीं है वैसे ही समाज सेवा के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है .... है ना !!!!

प्रश्न क्र.३) : - क्या बिना धर्मांतरण के भारत में सभी धर्म फल-फूल नहीं सकते?
उत्तर : - मेरा प्रतिप्रश्न - क्या "पार्टीन्तरण" या दूसरे की पार्टी में तोड़ फोड़ जोड़ तोड़ किये बगैर भारत में सभी पार्टियां फल फूल नहीं सकतीं ?? .... फल फूल सकती हैं .... जैसे 'आप' पार्टी अपने बल बूते फल फूल रही है और भाजपा "पार्टीन्तरण" करवा कर भी डूब गई है .... अतः राजनाथ जी बिना धर्मांतरण के भी भारत में सभी धर्म फल-फूल सकते हैं - और फलते फूलते रहे हैं .... पर अब यदि किसी को धर्म और धर्मांतरण के नाम पर गंदी राजनीति ही करनी हो तो राजनाथ जी उसका तो कोई इलाज नहीं है - है ना !!!!

प्रश्न क्र.४) : - क्या भारत जैसा देश अपनी जनसँख्या की पहचान (धार्मिक) एवं स्वरुप में बदलाव की इज़ाज़त दे सकता है ?
उत्तर : - यदि भारत में हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता देनी है तो फिर भारत को अपनी जनसँख्या की धार्मिक पहचान एवं स्वरुप में बदलाव की इज़ाज़त देनी ही पड़ेगी - जैसे कि देश की राजनीतिक पहचान और स्वरुप को बदलने के लिए हर वोटर को अपनी पसंद की पार्टी चुनने की इज़ाज़त देनी ही पड़ती है - और बदलाव होता है स्वरुप भी बदलता है - जैसे कि दिल्ली में हुआ ....  राजनाथ जी !! कोई शक कोई तकलीफ ?? नहीं ना !!!!

राजनाथ जी !! यदि उत्तर समझ में ना आए हों तो कृपया मुझसे या अपनी पार्टी से बाहर किसी भी "सेक्युलर" पढ़े लिखे भारतीय से संपर्क करें - आशा है कोई भी आपको और बेहतर समझा पाएगा !!!! और यदि ऐसा ना भी करना चाहें तो बस फिर एक 'ब्रह्म शब्द' का उच्चारण करते रहें "सेक्युलर" और एक 'ब्रह्म वाक्य' का जाप करें - "हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए - और भारतीय संविधान में ऐसा ही प्रावधान विद्यमान है" .... !!!! धन्यवाद !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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