कल था पाकिस्तान दिवस - दिल्ली स्थित पाक दूतावास में जश्न - कई पाक समर्थक और अलगाववादी हस्तियां मौजूद - मोदी सरकार के हुक्म पर भारत सरकार के नुमाइंदे के रूप में केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह भी उस कार्यक्रम में शिरकत करने भेज दिए गए .... और फिर वहां मात्र १० मिनिट रुकने के बाद उल्टे पाँव वापस आ गए .... और फिर खुद-ब-खुद बिना सब्र लगे नाराज़गी और खीज पटकने !!!!
प्रश्न उठता है कि यदि वी.के. सिंह भारत सरकार के नुमाइंदे के रूप में शिरकत करने पहुंचे थे तो अपनी व्यक्तिगत भावनाओं का फूहड़ता के साथ तुरंत ही इज़हार करना क्या वी.के. सिंह के साथ साथ भारत सरकार की हंसी और दयनीयता प्रदर्शित होने का कारण नहीं बनता ????
कृपया ध्यान देवें कि इसी प्रोग्राम में मसरत आलम को भी न्यौता दिया गया था .... पर जनाब आप उनकी सूझबूझ और समझदारी का नमूना देखें - कि वो गए ही नहीं .... और ना जाने के मासूम से कारण पर भी गौर फरमाएं - "मेरी तबियत कुछ नासाज़ सी थी .. बस इसलिए" ....!!!!
वाह क्या बात है - आदाब अर्ज़ है जनाब !!!!
पर इसके उलट जिसे नहीं जाना था वो तो अनमने मन से ही पर तपाक से पहुँच ही गए .... और फिर खुद ही रोने चिल्लाने लगे - स्यापा डालने लगे - विलाप करने लगे - हाय मैं कहाँ आ गया - क्यों आ गया - मुझे क्यों भेजा गया - मैं तो फंस गया - अरे यार मैं तो ड्यूटी पर था .... यानी बेवकूफी और पागलपन का नमूना भी देखें ....
!!!! वाह क्या टुच्ची पटकी है रे - लानत है जनाब !!!!
मित्रो !! अब आप ही बताएं कि मसरत और मोदी में ज़हीन कौन ??
विशेष टीप : आप अपने व्यक्तिगत उदगार खुलकर व्यक्त कर सकते हैं - क्योंकि अभी अभी उच्चतम न्यायलय द्वारा IT ACT की धारा 66-A को निरस्त कर दिया गया है .... पर ध्यान रहे - मसरत स्टाइल में ना कि वी.के. सिंह स्टाइल में .... !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\
No comments:
Post a Comment