Tuesday 31 March 2015

//// केजरीवाल से उम्मीद बड़ी - पर अधिकार निरंक - वाह रे बुद्धूजीवियों !!....////


इस देश की जनता ने स्वयं कुछ किया हो या ना हो - पर बड़ी मेहनत शिद्दत यतन से दिन रात माथा खपा और खून पसीना बहा बैठे-ठाले ये चाहा था कि इस देश में एक स्वच्छ राजनीति जनम ले .... भ्रष्टाचार रहित पारदर्शी वैकल्पिक ईमानदार अनूठी राजनीति .... जो इस देश का नक्शा बदल दे भाग्य ही बदल दे .... और इस शर्त के साथ कि भले ही हम स्वयं बदलें या ना भी बदलें - मर्ज़ी हमारी !!!! 

और इस महान कार्य के क्रियान्वयन के लिए उन्होंने पूरे देश से एक अकेले अदने जिद्दी जुझारू बीमारू खांसते हुए से केजरीवाल को चुना - जी हाँ #अरविन्द केजरीवाल .... और चुना क्या जनाब - सारी जिम्मेदारी उनके विशालकाय कन्धों पर लाद मारी .... और फिर कुछ लोग कातिलाना हँसी के साथ और कुछ लोग आशा के साथ दूर से टुकुर टुकुर देखने बैठ गए कि अब क्या होता है -  देखें इसकी औकात - ये 'केजरू' या 'केजरीवाल' असंभव को संभव कैसे बनाता है !!!!

पर हाय ! ये क्या !! ये क्या हो गया !!! गजब हो गया !!!! सारे सपने चूर-चूर हो गए ? बर्बाद हो गए ? सारे दावे धाराशायी हो गए ? अब तो भगवान बचाए  इस देश को और इस देश की राजनीति को जो अपने निम्नस्तर तक पहुंच गई - सब ठगा गए - सवा सौ करोड़ देशवासियों की वाट लग गई - हाय सब मर गए रे सब के सब बर्बाद हो गए रे ??

पर क्यों ???? .... जनाब ये सब इसलिए ना कि आपके द्वारा मोर्चे पर लगाए चयनित और चाहित व्यक्ति अरविन्द केजरीवाल ने २-४ अनुपयुक्त या अनचाहे काबिल लोगों को अपनी 'आप' पार्टी से निकाल दिया जो उनके अनुसार उनके और पार्टी के विरुद्ध षड़यंत्र कर रहे थे ? बस ना ???? .... और शायद इस निकालने की प्रक्रिया में गाली गलौज कर दी हाथापाई हो गई अलोकतांत्रिक तरीके अख्तियार कर लिए गए .... और इसलिए सब बर्बाद हो गया रे - अब बचा ही क्या ??

मित्रो मुझे उपरोक्त विश्लेषण के आस पास भटकते मंडराते खिलियाते बड़बड़ाते बुद्धिजीवियों बुद्धूजीवियों  कॉलमनिस्ट रोनिस्ट एंकर टैंकर अत्रकार पत्रकार और 'आप' विरोधियों पर हंसी आ रही है .... और उस जनता से सहानुभूति भी हो रही है जो काफी कुछ बहकावे में आ निराश हो रही है ....

इसलिए अपनी तरफ से प्रयास करते हुए कुछ महत्वपूर्ण संक्षिप्त विवेचना आप के समक्ष रख रहा हूँ .....

मित्रो !!!! आप स्वयं निर्णय करें कि जिस व्यक्ति से आपने पूरे देश की सूरत और सीरत बदलने की उम्मीद लगाई है क्या आप उसे इतना भी अधिकार नहीं देंगे कि वो अपनी मनमर्ज़ी से अपनी कोर टीम चुन सके और अपनी पार्टी से २-४ लोगों को निकाल सके ????

कल्पना करें कि क्या ये उचित होगा कि आप अपने एक सैनिक को वीर रस से सराबोर कर उसमें देशभक्ति का संचार कर उसे पाकिस्तान बॉर्डर पर दुश्मन को मारने के लिए भेजें - पर उसके हाथ में असली बन्दूक ना दे दिवाली का तमंचा थमा दें - और जब वो दुश्मन से लोहा लेने आगे बढ़ रहा हो तो चालाकी से उस तमंचे से टिकली का रोल तक भी निकाल लें - तो क्या होगा ? .... क्या दुश्मन मर जाएगा ?? क्या आपका वो जज़्बे वाला बहादुर सैनिक बच जाएगा ??? क्या देश बच जाएगा ????
उत्तर है .... नहीं - नहीं - सौ बार नहीं ....

इसलिए मेरे मित्रो मेरी आपको समझाइश है कि जरा अकल और तर्क से भी काम लें - और जानें कि ये जितने नामुराद झकोरे 'आप' पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की शोकांजलि प्रस्तुत कर रहे हैं कहीं ये वही लोग तो नहीं जिनसे हमें इस देश को बचाना है ?? कहीं ये वही अनगिनत षड्यंत्रकारी तो नहीं जो अपने स्वार्थ या झूठी शान के लिए देश की ऎसी की तैसी तक करने पर तुले हैं ?? .... क्या इनसे छुटकारा पाना आवश्यक नहीं ?? .... अतिआवश्यक है .... इसके लिए हमें कई 'केजरीवालों' का ही सृजन करना होगा !!!!

याद रहे कि भगवान ना करे यदि ये 'अरविन्द' केजरीवाल अक्षम साबित होते हैं या परास्त होत्ते हैं - तब भी देश का उद्धार कोई दूसरा 'केजरीवाल' ही कर सकेगा .... भूषण-यादव मोदी राहुल अंबानी अडानी शाह लालू मुलायम जयललिता मायावती नहीं !!!! ये बात अच्छे से समझ लें तो बेहतर !!!! धन्यवाद !!!!
#AAP

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