Friday 27 March 2015

//// वाह क्या डायलॉग था - "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो"....////


प्रशांत भूषण ने आज खुलासा किया कि वो जब भी अरविन्द केजरीवाल को समझाते (पकाते) थे कि तुम में एक बहुत बड़ी कमी है कि तुम किसी की सुनते नहीं हो - तो केजरीवाल ने भूषण को जवाब दिया था ....
// "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो" // ....

वाह क्या डायलॉग मारा था यार - मज़ा आ गया - शोले दीवार मुग़ले आज़म की टक्कर का - धाँसू .... पर लगता है ये डायलाग गलत आदमी के सामने दे मारा - वो नादान डायलॉग का अर्थ और भावार्थ तक नहीं समझा ....  
क्या यार केजरीवाल जी !! आप भी ना अधूरी बात करते हो - पूरी बात करना थी ना - कह देना था कि भूषण जी तुम ऐसे संगठन में क्यों बने हो जहाँ तुम्हारी चलती ना हो ????

खैर जो हुआ सो हुआ - मैं तो भूषण जी को आज भी धन्यवाद देता हूँ कि आज उन्होंने यह सत्य सर्वाजनिक करने का महान कार्य किया - जिससे हमें और पुख्ता हुआ कि अरविन्द केजरीवाल किस मिटटी के बने हैं .... और वे सभी कारण भी ज्ञात हुए कि अब भूषण जी की मिटटी पलीत होना क्यों जरूरी है !!!!

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