Sunday 8 March 2015

//// मसरत आलम को क्यों छोड़ा ?? .... प्रश्न के एवज़ में और प्रश्न भी तो हैं ....////


प्रश्न पूछा जा रहा है - मसरत आलम को क्यों छोड़ दिया गया ??
इस वाजिब प्रश्न पर मेरी विवेचना ....

क्या मसरत आलम को छोड़ना या ना छोड़ने का विषय "कानून" की परिधि में आता है ?? यदि नहीं तो क्या कानून को बदलने की आवश्यकता तो नहीं ?? और यदि हाँ तो बहस में इस बात का उल्लेख क्यों नहीं आ रहा है कि कानून की किस धारा का उल्लंघन हुआ है - और यह घोर अपराध किसने किया है ??

जितनी बहस मैनें सुनी है उससे मुझे यह ही पता लगा है कि - मसरत आलम एक अलगाववादी व्यक्ति है जो शायद देश विरोधी गलत सलत और भड़काऊ बयान देते रहा है - और जिस पर हिंसा के रूप में पथ्थरबाज़ी का आरोप है - और पत्थरबाजी भी ऐसी कि जिसमें कई निर्दोष मौत के घाट उतरे - पर शायद उसके विरुद्ध आज तक कोई ऍफ़.आई.आर दर्ज नहीं है - वो किसी न्यायलय द्वारा सज़ायाफ्ता नहीं है - और फिर भी वो पिछले ४-५ साल से जेल में बंद था ....

मित्रो मेरा तो सर चकरा गया जब उपरोक्त बातों पर विचार किया -  और मैं सोचता हूँ कि क्या हमारी सरकारें इतनी नकारा या कमज़ोर हैं / थीं कि एक देश विरोधी मुजरिम को मुकम्मल सजा नहीं दे पाईं / पा रही हैं - या इतनी अराजक और ताकतवर हैं / थीं कि किसी को मात्र आरोपों या मान्यता के आधार पर ५ साल जेल में बंद रख सकीं ??

और क्या जम्मू-कश्मीर में यदि मसरत आलम को छोड़ने का अपराध हुआ है तो क्या इसके लिए वहां की सरकार दोषी है या पीडीपी पार्टी ???? और इस अपराध की जवाबदेही किसकी और किसे इसकी सजा मिलेगी ????
और क्या जम्मू कश्मीर में यदि कुछ अच्छा होता है तो क्या इसका श्रेय केवल पीडीपी पार्टी को - बीजेपी को नहीं जाएगा ????

और प्रश्न ये भी कि .... मसरत आलम तो छोड़ दिया गया - पर प्रवीण तोगड़िया योगी आदित्यनाथ साक्षी महाराज जैसे बड़बोलों को अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया ????

अभी बहुत मंथन की आवश्यकता है .... और दिन-ब-दिन मोदी सरकार के लिए प्रश्नों की फेहरिस्त लम्बी ही होती जा रही है ....
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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