Monday 23 March 2015

//// भगोड़ा - पप्पू - फेंकू .... नामकरण और कर्मों का लेखा-जोखा ....////


बहुत समय हो गया .... मैंने किसी को भी केजरीवाल को उनके नामकरण अनुसार 'एक-४९' या 'भगोड़ा' से संबोधित करते नहीं सुना .... यहाँ तक कि किसी ने उनके मफलर तक का ज़िक्र नहीं किया .... और तो और बची खुची खांसी भी जाती रही .... अतः मफलर खांसी से संबंधित दर्जनों नाम भी विलुप्त हो गए .... और अब तो देख रहा हूँ कि यदि कुछ आदतन बिगड़ी जबान वाले भक्तों को छोड़ दिया जाए जो शायद उन्हें 'केजरू' आदि बोल आह्लादित हो जाते हैं और मन ठंडा कर लेते हैं - अधिकतर लोग उन्हें सम्मान के साथ 'केजरीवाल' के नाम से ही बुलाने लगे हैं - या स्नेह और अपनेपन के साथ 'अरविन्द' के नाम से !!!!

यकीनन ऐसा इसलिए हुआ है कि अरविन्द केजरीवाल ४९ दिन से ज्यादा मुख्यमंत्री रह चुके हैं - भागने की बात तो दूर दमखम से ताल ठोंक के वापसी कर चुके हैं .... मफलर मौसम के अनुसार अपने आप उतर गया है - और खांसी का इलाज करवा लिया गया है !!!! .... और भक्त अपनी आदत से मजबूर और अकल से मजदूर हैं !!!!

पर वहीँ दूसरी ओर 'पप्पू' और 'फेंकू' नाम यथावत चिपके हुए हैं .... चस्पा हैं - चेंटें हैं - चेंपे हैं - चर्चित हैं - चलन में हैं !!!!

यक़ीनन इसलिए कि 'पप्पू' तो पप्पू हैं ही और आजकल मम्मी पर सारा काम छोड़ छुट्टी पर हैं ....

और 'फेंकू' बेलगाम फांकते ही जा रहे हैं - पर कर तो कुछ भी नहीं रहे .... बस जब देखो तब एक बात ही बार बार फांकते रहते हैं - "मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ - मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ" .... जैसे कि ये 'विश्वास' कोई मेले ठेले में बिकने वाली चीज़ हो जो मोदी जी सबको दिलवाने निकले हों .... और मज़े की बात तो ये है कि अब तो उन पर यकीनन कोई भी विश्वास करने के लिए तैयार ही नहीं है .... न उनके 'विकास' पर ना उनके 'विश्वास' पर .... यानी 'फेंकू' नाम पूर्णतः चरित्रार्थ हो रहा है !!!!

तो मित्रो ये है अभी तक के नामकरण और कर्मों का लेखा-जोखा !!!! आगे-आगे देखिये होता है क्या ??

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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