Saturday 21 March 2015

//// अरे मेरे माटी के शेरों !! .... तुम भी तो बौखलाओ - तुम भी तो डरो ....////


सीमापार से आतंकवादी हमले और सीज़ फायर उल्लंघन होने के अजीब कारण बताए जाते रहे हैं .... अजीब भी गरीब भी घिसे भी पिटे भी और शर्मनाक भी और अमान्य भी .... मसलन - शांति वार्ता शुरू की गई थी इसलिए !! शांति वार्ता बंद करी थी इसलिए !! चुनाव थे इसलिए !! स्थिर सरकार आई है इसलिए !! पहले की सरकार कमज़ोर थी इसलिए !! ये सरकार मजबूत है इसलिए !! ये पाकिस्तान कि बौखलाहट का नतीजा है - दुश्मन अब डर गया है - आदि इत्यादि !!!!

अभी अभी कठुआ और सांबा के हमले में भाजपा और पीडीपी और सरकार के प्रवक्ताओं के द्वारा फिर से कहा जा रहा है कि - ये सीमा पार से आतंकवादियों की 'बौखलाहट' और 'डर' का ही परिणाम है ....
और पीडीपी तो यहाँ तक कह रही है की ये तो 'नॉन स्टेट एक्टर' का कुकृत्य है .... यानी इसमें पाक साफ़ पाकिस्तान का तो हाथ ही नहीं है - आदि !!!!

हमेशा की तरह मेरे सारगर्भित टुच्चे प्रश्न >>>>

>> क्या हमने कभी भी ना बौखलाने की कसम खाई है ?? .... आखिर हम भी अकारण ही बौखला क्यों नहीं सकते ??

>> क्या हमें भी डरने का नैसर्गिक अधिकार नहीं हैं ?? आखिर हम कब तक ५६ इंची छाती के साथ निडर बने रहेंगे ??

>> ये 'नॉन स्टेट एक्टर' की फिल्म इतनी कैसे चल जाती है - क्या हमारे पास कोई 'स्टेट एक्टर' नहीं जो धाँसू हीरो की एक्टिंग कर फिल्म को हिट कर सके .... या सभी 'स्टेट एक्टर' विलेन ही हैं जिन्हे देख अब उबकाई आने लगी है .... या फिर गुस्सा आता है ??

>> ये 'नॉन स्टेट एक्टर' आसमान से सीधे जम्मू में ही कैसे उतर जाते हैं ?? और पीडीपी तुरत फुरत इनकी पहचान कैसे कर लेती है ?? सूंघ कर ?? .... क्या जम्मू में नरक से कोई सीधा आसमानी रास्ता आता है ??

अब तो मित्रो सही बात ये है कि मुझे भी डर लग रहा है और मुझे बौखलाहट भी होने लगी है .... और इसलिए ही मैंने अपनी औकात अनुसार कुछ लिख मारा है - आशा है अब आप भी थोड़ा डरेंगे - क्योंकि "डर के आगे जीत है" .... !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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