Wednesday 25 February 2015

//// 'आत्मचिंतन' पर मेरा चिंतन ....////


मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है कि हमारे बीच अभी भी ऐसे राजनेता मौजूद हैं जो अपने घर में रहकर 'आत्मचिंतन' भी नहीं कर सकते ?? तो फिर ये दूसरों के बारे में चिंता कर के भी क्या कर लेंगे ?? .... मित्रों ऐसे लोग शायद चित्त हो चुके हैं - चिंतनीय हो चुके हैं - इसलिए इनकी चिंता करने का कोई औचित्य नहीं बचा है ....

पर हाँ असल में मुझे ज्यादा चिंता तो अब ऐसे लोगों की हो रही है जिनके कपडे तक उतर के नीलाम हो गए पर 9 महीने के उपरांत भी उनका 'आत्मचिंतन' शुरू तक नहीं हुआ है .... लगता है ऐसे लोगों को तो गरीब की चिता दिखने पर भी गरीब की चिंता नहीं होती ..... वो तो स्वयं इस चिंता में लगे हैं कि गरीब के नीचे से जमीन कैसे खींच ली जाए .... ऐसे चिंतनीय लोगों के चित्त में जो चतुरता ठूंसी पड़ी है वही चिंता का विषय है .... और 'आत्मचिंतन' के अभाव में शायद अब चिंतन तो हमको और आपको ही करना पड़ेगा .... है ना !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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