Thursday 19 February 2015

//// संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति यदि घोर गलती या पाप करें तो ????....////


बिहार में राजनीति हो रही है - ये कहना जरा हल्कापन हो जाएगा .... जो कुछ हो रहा है मैं समझता हूँ उपयुक्त होगा ये कहना कि - बिहार में मवेशियों और ढोरों का दंगल हो रहा है - और कुछ लोग दुखी हो रहे हैं - कुछ खुश हो रहे हैं - कुछ पछता रहे हैं - और कुछ माथा ठोंक रहे हैं .... और कुछ विशिष्ट इतरा रहे हैं मजे ले रहे हैं भिड़ रहे हैं भिड़ा रहे हैं ....

और मित्रों मेरे अनुसार मवेशियों और ढोरों से आप कुछ अलग क्या अपेक्षित कर सकते हैं - वो तो अपनी प्रकृति अनुरूप ही तो इधर उधर मूतेंगे - कुछ गोबर करेंगे कुछ लीद करेंगे और कुछ लेंडी आदि !!!! अतः मैं इस विषयक ज्यादा परेशान होने के मूड में नहीं हूँ ....

पर मित्रों मुझे जो बात ज्यादा परेशान कर रही है वो है - संवैधानिक पदों का घोर अवमूल्यन ....
मैं देख रहा हूँ कि निकट भविष्य में जो दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और महाराष्ट्र स्पीकर दिलीप पाटिल - तथा वर्तमान में अभी बिहार के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और स्पीकर उदय नारायण चौधरी और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा जो कुछ भी किया गया है वो भी तो उपरोक्त वर्णित दंगल के प्रतिस्पर्धियों की करनी से ज्यादा भिन्न नहीं हैं ....

तो मित्रों मैं तो परेशान हो रहा हूँ कि ऐसे व्यक्तियों को जो संवैधानिक पदों की मर्यादा भी अपनी मर्यादा के समतुल्य ला दे रहे हैं - उन्हें क्या कहूँ ????

और इसलिए आपके समक्ष यह प्रश्न रखना चाहता हूँ कि क्या संवैधानिक पदों पर रहते जो व्यक्ति घोर गलती करे या पाप करे तो क्या उसके प्रति अपने गुस्से का इज़हार करने के लिए क्या एक आम आदमी को असंवैधानिक भाषा में गालियां देने की वैधानिक अनुमति होनी चाहिए कि नहीं ????

मित्रों मुझे लगता है कई प्रश्न ऐसे होते हैं जिनके उत्तर दिल की गहराइयों से स्वतः निकलते हैं - और इसलिए मैं दिल कि गहराईयों से दिल ही दिल में जो कह रहा हूँ उसका अनुमान आप तो लगा ही सकते हैं - है ना !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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