Wednesday 1 April 2015

//// "बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी" - ब्लैकमेलिंग का ग़ज़ली तरीका ..////


'आप' के आंतरिक झगडे में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले और उंगलिया होम करने वाले -  'आप' पार्टी से निकाले गए वरिष्ठ प्रोफेसर आनंद कुमार - और बकौल प्रोफेसर स्वयं नाक कटाने वाले .... निष्कासन के बाद कह रहे थे ....
"बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी - बेडरूम तक जाएगी - ड्राइंगरूम तक जाएगी - रात के अंधेरों तक जाएगी" ....

जगजीतसिंह द्वारा गाई गई मशहूर ग़ज़ल हमने-आपने कई बार सुनी होगी - पर इस ग़ज़ल के बारे में मैं यह दावे से कह सकता हूँ कि इसका गायन और श्रवण इतना नहीं हुआ होगा जितना कि इसका उच्चारण धमकी देने चेतावनी देने या ब्लैकमेलिंग करने के लिए !!!!

अतः मैं इसे प्रोफेसर आनंद की ब्लैकमेलिंग करने के रूप में देखता हूँ - और ऐसा करना उनका अधिकार है - आखिर उन्होंने गालियां खाईं - उंगलिया जलाईं - और नाक जो कटाई !!!!

पर मैं प्रोफेसर आनंद से कहना चाहूँगा कि जनाब इसी ग़ज़ल की आगे की पंक्तियों पर भी तो गौर फरमाएं  ....
"लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे - और ये भी पूछेंगे की तुम इतनी परेशाँ क्यों हो ??"

प्रोफेसर साहब - उदासी का सबब तो पता है पर आप इतने परेशान क्यों हैं ?? ....
सुना था वो ही बातें तो दूर तक जाती हैं जो बातें ज्यादातर बेडरूम ड्राइंगरूम और रात के अंधेरों से निकलती है - पर आप तो उल्टी गंगा बहा रहे हैं - बातों को उल्टे वहीँ भेजे दे रहे हैं .... और प्रोफेसर साहब ये बात तो निकल ही चुकी है - आप फिर भी निकलेगी-निकलेगी क्यों कह रहे हैं ?? और यदि नहीं निकली तो क्यों नहीं निकली ? कब निकलेगी - और बात जब निकलेगी तो ..... ?? .... तो क्या प्रोफेसर ?? अब बता भी दीजिये ना आदरणीय !!!!

वैसे ना भी बताएंगे तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि अब हमें भी काफी कुछ अंदाजा लग ही गया है - बात सीधी दिखती है - केजरीवाल उतने सीधे नहीं जितना वो दिखते हैं - और उतने हरिश्चंद्र भी नहीं जितना वो दावा करते हैं - और इतने लल्लू भी नहीं जितना आप समझ बैठे थे - वो बिलकुल भी सरल नहीं बल्कि बहुत ऊंची चीज़ हैं - और आपने इस तथ्य के मद्देनज़र उन्हें ब्लैकमेल करने का प्रयास किया - और पानी सर से ऊपर जाता देख और मरता क्या ना करता उन्होंने आपको और आपके साथियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया .... और अब आप उन्हें सबक सिखाने के लिए उन्हें फिर ब्लैकमेल कर रहे हैं - पर शायद अबकी बार डर भी रहे हैं - कि कहीं इस बार पंजा ही ना होम हो जाए - है ना !!!!

इसलिए मेरा आपको सुझाव है कि केजरीवाल से एक बात तो सीख ही लें - डरना बंद करें - और आज ही बात निकाल ही दें - और उसे दूर तक जाने दें - लम्बी छोड़ दें .... वैसे भी अब स्टिंग-स्टिंग से बोर हो गए - वही गर्ग का बेडा गर्क - पुरानी बांसी चीज़ें - वही योगेन्द्र की मिठास भरी कसैली बातें - वही प्रशांत की भिन्नभिन्न - वही बाबा आदम के जमाने के खिसियाए कहानी किस्से .... कुछ मार्केट में नया आएगा तो मज़ा भी आएगा !!!! नहीं क्या ????
#AapWar #प्रोफेसरआनंदकुमार

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