Tuesday 1 December 2015

// जनलोकपाल का विरोध या केजरीवाल का व्यक्तिगत कुंठित विरोध ?? ..//


केजरीवाल सरकार ने कुछ देर से सही पर अंततः दिल्ली जनलोकपाल बिल कल विधानसभा में पेश कर दिया ....

पर प्रशांत भूषण को यह बिल रास नहीं आ रहा है - वो अपने पिताश्री के साथ मिलकर कह रहे हैं कि ये तो जोकपाल बिल है - और वो इसका विरोध कर रहे हैं .... विरोध भी जबरदस्त .... टीवी बहस में 'आप' प्रवक्ता राघव चड्ढा पर तो प्रशांत निकल ही लिए - बिलकुल भाजपा प्रवक्ता जैसे इतना चिल्लाये इतना ओछा बोले कि लगे मामला गंभीर है और यदि ये बिल पास हो जाएगा तो अनर्थ हो जाएगा .... और कल तो विधानसभा के बाहर भी जबरदस्त प्रदर्शन किया गया - और गिरफ्तार भी हुए .... और आज तो एफएम रेडियो पर विज्ञापन देकर प्रशांत केजरीवाल को बहस की चुनौती दे रहे हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया और सुझाव ....

'आप' पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रशांत और योगेन्द्र फोकटिया ही बतियाते रहे हैं और खिसियाते रहे हैं .... पर अब पहली बार प्रशांत और योगेन्द्र ने तड़प कर कुछ जमीनी विरोध किया है ....

अतः मेरा सुझाव है कि प्रशांत एक बार फिर और अबकी बार "अन्ना-भूषण" जनलोकपाल के लिए एक आंदोलन खड़ा करें .... और ऐसा आंदोलन खड़ा करने में कोई दिक्कत भी पेश आनी नहीं चाहिए - क्योंकि क्या है ना कि - अभी अन्ना और शांती भूषण कायम हैं - किरण बेदी - स्वामी अग्निवेश - अनुपम खेर - वीके सिंह - रामदेव - आदि दिग्गज अब और ताकतवर हो गए हैं और उपलब्ध हैं .... और योगेन्द्र भी उपलब्ध हैं ही - बस अब इनके साथ कोई नहीं है तो एक केजरीवाल अपने कुछ एक दोस्तों के साथ ....

तो मैं आशा करता हूँ कि शीघ्र - अन्ना और प्रशांत और योगेन्द्र और शांति - तथा केजरी से हज़ार चिढू-कुढ़ू - सब मिलकर भूख हड़ताल पर बैठेंगे - भाजपा और कांग्रेस का भी समर्थन मिल ही जाएगा - और दिल्ली जनलोकपाल बिल को बदलवा कर ही दम लेंगे ....

पर साथ ही कुछ प्रश्न भी पूछता हूँ ....

क्या हुआ केंद्र के जनलोकपाल बिल का और क्या होगा केंद्र के जनलोकपाल बिल का ??
अन्ना चुप क्यों ?? .. योगेन्द्र यादव चुप क्यों ?? .. बेदी चुप क्यों ?? .. वीके सिंह चुप क्यों ??
कांग्रेस भाजपा बुझी-बुझी सहमी-सहमी क्यों ??
और क्या दिल्ली का जनलोकपाल बिल केंद्र के जनलोकपाल बिल से ज्यादा महत्वपूर्ण है या ज्यादा लोगों के लिए प्रभावी होगा ??
और क्या प्रशांत भूषण को केंद्र का जनलोकपाल बिल मंज़ूर था / है ??
या कहीं ऐसा तो नहीं कि - बस ये केजरीवाल का विरोध है - व्यक्तिगत कुंठित विरोध ????

और हाँ केजरीवाल के बारे में एक बात और कहता चलूँ .... केजरीवाल की लक्ष्य तक पहुँचने की डगर बहुत ख़राब थी - उबड़ खाबड़ थी - केजरीवाल ने डगर ठीक करने का प्रयास किया - और करते रहे .... पर अब वो समझ गए हैं कि कई बार डगर को ठीक किये बिना भी गड़बड़ डगर पर चलने की कला सीख आगे बढ़ना होता है .... 
और जिस तरह केजरीवाल ने जनलोकपाल मसले में 'अजीब गंज' जैसे उच्च कोटि के संवैधानिक भक्त से छुटकारा प्राप्त किया है - और अपने दो तिहाई से ज्यादा बहुमत का सदुपयोग किया है - मैं तो उसका कायल हो गया हूँ .... क्योंकि मुझे यकीन है कि केजरीवाल ने सजगता से ये सुनिश्चित कर लिया है कि कोई टिकाऊ बिकाऊ टुच्चा जनलोकपाल का दुरुपयोग भी न कर पाये .... कुछ चिल्लाते हैं तो उन्हें चिल्लाने दिया जाए ....

वाह !! गड़बड़ डगर पर आगे बढ़ने का क्या शानदार तरीका है .... केजरीवाल जी को बधाई !!!! जय हिन्द !!!!

No comments:

Post a Comment