Friday 18 December 2015

// ध्यान रहे - 'जनता का ध्यान' जरूरी नहीं कि हटे या बंटे ही .... //


जब देखो तब ये झकोरे राजनीतिज्ञ अपनी सुविधानुसार और परिस्थिति अनुसार और अपनी औकात अनुसार निम्नस्तर के झूठे सच्चे बयान देते आये हैं .... मसलन ....

जनता सब देख रही है ....
जनता सब जानती है ....
जनता मूर्ख नहीं ....
जनता को कोई मूर्ख नहीं बना सकता ....
जनता की अदालत से बढ़कर कोई अदालत नहीं ....
जनता जनार्दन होती है ....
और ....
हम इसलिए हारे कि हम अपनी बात जनता तक नहीं पहुंचा पाए ....
जनता को गुमराह किया गया ....
जनता विरोधी की चालें समझ नहीं पाई ....
जनता को सब्जबाग दिखा झूठे वायदे कर धोखा दिया गया ....

और लेटेस्ट ....

ये - वो - यूं - ऐसे - वैसे - इसके - उसके द्वारा .. ऐसा इसलिए किया कहा गया है या किया कहा जा रहा है कि जनता का ध्यान असली मुद्दे से हटाया बंटाया जा सके ....

मसलन केजरीवाल ने अभी डीडीसीए का मसला इसलिए उठाया है ताकि जनता का ध्यान तोते-राजेंद्र प्रकरण से हटाया बंटाया जा सके ....
और कैलाश विजयवर्गीय ने शाहरुख़ खान को अपशब्द इसलिए कहे हैं ताकि जनता का ध्यान केजरी द्वारा निर्मित और जेटली को अर्पित डीडीसीए प्रकरण से अलग हट सके .... आदि !!

मित्रो !! .. और ये बात भी सही है कि जनता की याद्दाश्त थोड़ी लघु ही होती है - और जनता उदार भी होती है .... पर ध्यान रहे कि साथ ही जनता चीखट-चेंटू भी होती है - जो छोटी-छोटी बातें भूल जाती हो - पर मोटी-मोटी और बड़ी बातें कभी नहीं भूलती ....

इसलिए मैं झकोरे राजनीतिज्ञों का ध्यान खींचना चाहूँगा .... और कहना चाहूँगा कि ....

तुम याद रखना - सजग रहना - चौकन्ने रहना - कि जनता का ध्यान जाए भाड़ में - पर तुम्हारा ध्यान हटा नहीं दुर्घटना घटी नहीं .... मसलन तुम्हारी केजरी से नज़रें हटी नहीं और दुर्घटना घटी नहीं ....

और यदि मेरी बात समझ ना पड़ी हो तो अंतरध्यान हो जाओ - उस आत्मा का ध्यान करो जो परमात्मा का अंश हो तुम्हारे गंदे शरीर में घुस तड़प रही है .... उसे स्वच्छ करो ....

और ध्यान रहे - भूल कर भी जनता के ध्यान विषयक मुगालते में मत रहना .... !! समझे !!

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