Thursday 3 December 2015

// 'कुर्बानी' के नाम पर 'बलि का बकरा' ?? ....//


"कुर्बानी" - शायद इस शब्द का सबसे ज़्यादा प्रयोग होता है "बकरीद" पर जब मुसलमान बकरे की कुर्बानी देते हैं ....

आज मोहन भागवत जी राम मंदिर निर्माण हेतु 'कुर्बानी' देने के लिए तैयार रहने का आह्वाहन कर रहे हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

बकरा बेचारा जान से जाता है - और मज़ा वो लेता है जो कुर्बानी के नाम पर बकरे को मार देता है और कहता है - "मैनें बकरे की कुर्बानी दी" ....

लगता है यहां भी कोई मंदिर निर्माण के नाम पर कई लोगों को तथाकथित बकरीय "कुर्बानी" देने के लिए उकसा रहा है .... अपने आप को सुरक्षित रखते हुए वो किसी के द्वारा किसी की मार-काट की योजना बना रहा है - जो बाद में कहेगा - मंदिर निर्माण हेतु "हमने कई भक्तों की कुर्बानी दी" ....

और मारे जाएंगे कई भक्त या कई निर्दोष - और यकीन मानिए क़ुर्बानी के नाम पर बेमौत मारे गए बेचारे कहलायेंगे - "बलि के बकरे" - प्रचलित मुहावरे में भी ऐसा ही तो कहा जाता है !!!!

इसलिए आपको सावधान करना चाहूंगा - 'कुर्बानी' के नाम पर 'बलि का बकरा' बनने की बेवकूफी मत करियेगा !!!!

और वैसे भी सोचियेगा कि मंदिर निर्माण का मुद्दा सर्वोच्च न्यायलय के अध्यधीन  है - और इस देश में कानून का राज्य स्थापित मान्य हो उसका ही अनुसरण होना चाहिए ....

और इसके दीगर भी सोचियेगा कि किसी भी मंदिर या धर्मस्थल का निर्माण किसी की कुर्बानी या बलि की नींव पर उचित कदापि भी ठहराया या माना नहीं जाएगा .... और ऐसा होना शोभा भी नहीं देगा ....

और हाँ !! आपका ध्यान एक और बात पर आकृष्ट करना चाहूँगा .... दाल का भाव गोश्त से ज़्यादा हो चला है - महंगाई गरीब को मारे दे रही है - और आप को मंदिर के नाम पर क़ुर्बान होने के लिए उकसाया जा रहा है .... इसलिए लगता है कुर्बानी के बाद ये मस्त से पस्त लोग अरहर की दाल प्याज टमाटर का तड़का लगाकर खाएंगे और अट्टाहास करेंगे .... धार्मिक अट्टाहास - महंगाई पर अट्टाहास - गरीबी पर अट्टाहास - 'बलि के बकरों' पर भी अट्टाहास !!!!

और अंत में मेरी एक खुल्ली चुनौती - जिन्हें मेरी बात सही ना लगी हो वो कृपया ज़रूर ही अपनी कुर्बानी देकर बताएँ - पर ध्यान रहे मेरी चुनौती "अपनी" कुर्बानी देने की है - ना कि किसी "बलि के बकरे की - समझे !!!!

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