Tuesday 22 December 2015

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मित्रो !! बात कहाँ से निकली और कहाँ पहुंची - पर इस दौरान जो बाँस निकली वो तो वहीं पसर गई ....
और इसलिए मुझे याद हो आई - 'बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी' .... और बस यूं ही मूड हो आया एक पैरोडी का जो आपकी नज़र पेश है ....

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी > बाँस निकलेगी तो फिर वहीं फ़ैल जायेगी

लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे        > लोग कई वजह उदासी का सबब पूछेंगे 
ये भी पूछेंगे कि तुम इतनी परेशां क्यूँ हो  > ये भी पूछेंगे कि तुम इतने परेशां क्यूँ हो
उंगलियां उठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ़   > उंगलियां उठेंगी टूटे हुए बालों की तरफ़ 
एक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़> एक नज़र देखेंगे तुम्हारे गुनाहों की तरफ़
चूड़ियों पर भी कई तंज़ किये जायेंगे        > कायरता पर भी कई तंज़ किये जायेंगे
काँपते हाथों पे भी फ़िकरे कसे जायेंगे       > काँपते बयानों पे भी फ़िकरे कसे जायेंगे 

लोग ज़ालिम हैं हर एक बात का ताना देंगे > लोग ज़ालिम हैं हर एक करोड़ का ताना देंगे
बातों बातों में मेरा ज़िक्र भी ले आयेंगे       > बातों बातों में केजरी का ज़िक्र भी ले आयेंगे
उनकी बातों का ज़रा सा भी असर मत लेना> उनकी बातों का भी ज़रा असर ले लेना
वरना चेहरे के तासुर से समझ जायेंगे       > वरना थोबड़े के तासुर से समझ जायेंगे
चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उनसे  > चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उससे
मेरे बारे में कोई बात ना  करना उनसे       > कीर्ति के बारे में कोई बात ना करना उससे  

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी  > बाँस निकलेगी तो फिर वहीं फ़ैल जायेगी ....

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