Sunday 27 December 2015

// क्या दिमाग से "दिव्यांग" भी कभी .. सही-सही सोच सही बोल पाते हैं ?? ..//


आज मोदी जी के 'मन की बात' फिर सुनी .... हमेशा की तरह मज़ा नहीं आया - और कुछ नया अंतर भी अनुभव किया ....
इस बार भाषण देने या बोलने की कला में भी पिछड़ते दिखे .... शायद लम्बी लम्बी बातें लम्बी लम्बी साँसों के साथ बोलना अब मुझे लुभावना तो दूर - अब बहुत पकाऊ लगा ....

और जहाँ तक उनकी बात में विषयवस्तु की बात है तो मेरा विश्वास पक्का हो रहा है कि उनके पास कुछ नया बोलने के लिए रह ही नहीं गया है .... इसलिए घूम फिर कर जनधन - स्वच्छता - जयंती - विश्व - मानवीय - नया फोकटी प्रोग्राम - और शुरुआत मध्य या अंत में गैस गैस और गैस .... और फिर कुछ सामान्य व्यक्तियों की बात और तारीफ - कुछ सुझाव मांगना और कुछ अटपटे सुझाव दे अपने कर्तव्यों और फेंकने की इतिश्री .... और हो गई 'मन की बात' ....

और अंत में कहता चलूँ कि शायद कई उत्साहित भक्त भी इस बार मन मन में सोच और चाह रहे थे कि इस बार मोदी अपनी वीर बचकानी पाकिस्तानी यात्रा के दौरान हैप्पी बर्थडे और निकाह आशीर्वाद विषयक कुछ बोलेंगे .... पर ऐसा ना होना था ना हुआ ....

बल्कि इस बार वो एक पुरानी सुनी नई चीज़ बोले - कि मेरी मानें मेरी सोच अनुसार मेरा अनुसरण कर मेरी इच्छा अनुसार मेरे मत अनुसार पूरा देश "विकलांग" की जगह "दिव्यांग" बोले .... 

और इसलिए मेरी बात का समापन करते हुए मेरे स्टाइल में मेरी प्रतिक्रिया ....

क्या दिमाग से "दिव्यांग" भी कभी .. सही-सही सोच सही बोल पाते हैं ??

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