Wednesday 2 December 2015

// हो गई संसदीय बहस संविधान और असहिष्णुता पर .. हिप-हिप-हुर्रे !! ....//


संसद में दो तीन दिन संविधान और असहिष्णुता पर बहस हो गई .... और सतही तौर पर लगता है कि ना तो ऐसी बहस का कोई निष्कर्ष निकलना था ना निकला है ....

पर सारी बहस बेकार साबित हुई मैं ऐसा नहीं मानता - क्योंकि बहस का निष्कर्ष भले ही ना निकला हो पर कई बहुत मूल्यवान तथ्य इंगित हो स्थापित हुए हैं .... जो मेरे मतानुसार निम्नानुसार हैं ....

>> ये देश सेक्युलर है ....

>> इस देश में अब लोग धार्मिक असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर फोकटिया रोकटोक के विरुद्ध असहिष्णु हो चले हैं ....

>> अब लोग या तो संविधान का पालन चाहते हैं - या संविधान में बदलाव - फोकटिया विलाप और राजनैतिक अकर्मण्यता या दिवालियापन नहीं ....

>> संविधान से "सेक्युलर" शब्द को हटाना संभव नहीं - और मोदी सरकार द्वारा तो ऐसी बात भर करने पर चौतरफा इतना दबाव और असहिष्णुता बरसेगी कि ऐसा हो पाना असंभव ही होगा .... और शायद भक्तों द्वारा "सेक्युलर" शब्द या सेक्युलर लोगों का उपहास करना भी इतना सहज नहीं होगा ....

>> "हिन्दू" शब्द की इतनी व्याख्याएं की जा चुकी हैं और इसे स्वहित में इतना तोडा मरोड़ा जा चुका है कि यदि आप किसी से भी पूछ लेंगे कि "हिन्दू" के क्या मायने तो या तो वो १० बातें बोल भाग जाएगा या बोलेगा - तौबा !! ८४ लाख देवी देवता ही जाने .... मेरी आप से क्या दुश्मनी जो आप मुझसे ऐसा असहिष्णु प्रश्न पूछ रहे हैं ??

>> और तो और बहस के दौरान ये जगजाहिर हुआ कि संविधान अनुसार इस देश का नाम "भारत" या "इंडिया" है - और "हिन्दुस्तान" कदापि नहीं .... 

>> अब बोल बच्चनों के लिए इतना आसान नहीं होगा कि बकवास पटक-पटक असहिष्णुता फैला सकें ....

>> संसद में अभी भी कुछ झकोरे हैं जिनकी सोच गड़बड़ है - पर अब वो अपनी गड़बड़ाई सोच का इज़हार खुलकर संसद में नहीं कर सकेंगे ....

>> और समाज में अब जो भी सब को साथ लेकर चलने की बात करेगा - सहिष्णुता की बात करेगा - सेकुलरिज्म की बात करेगा - भाईचारे की बात करेगा - केवल उसी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा .... और जो इन मूल्यों के विपरीत बात करेगा उसे "पट्टाधारी" मान हिकारत की दृष्टि से देखा जाएगा ....

>> यह तथ्य पुनः स्थापित हुआ कि मोदी जी बहुत अच्छे वक्ता हैं - और वो केवल सहिष्णुता सेकुलरिज्म भाईचारे सबको साथ लेकर चलने जैसी उचित बातें ही कर सके ....

>> और इस देश में मुखर राजनैतिक फ़ड़तूसों की संख्या भी कोई बहुत ज्यादा नहीं हैं .... १५-२० सत्ता पक्ष में होंगे - और १०-१५ विपक्ष में .... जिनमें से एक-आध की जुबान बंद करने की औकात तो ये लेख लिखने वाला नाचीज़ ही रखता है .... है ना !!!!

तो संविधान और असहिष्णुता पर संसद में हुई अब तक की बहस पर आज हो जाए - हिप-हिप-हुर्रे !!!!

No comments:

Post a Comment