Friday 25 December 2015

// रईस जेटली डीडीसीए में करने क्या गए थे ?? .. और कर क्या रहे थे ?? ..//


अब 'भाजपा के टेके' टेका दे रहे हैं कि जेटली तो इतने करोड़पति हैं कि उन्हें डीडीसीए के अंतर्गत कोटला स्टेडियम निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार करने की क्या आवश्यकता थी ?? .... इसलिए जेटली ने कुछ भ्रष्टाचार किया होगा यकीन ही नहीं होता ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

क्या रईस लोग टुच्चे नहीं होते या टुच्चे रईस नहीं होते ??
क्या रईस टैक्स की चोरी नहीं करते ??
क्या रईस जनता के और सरकारी पैसों का गबन नहीं करते ??

क्या गरीब भ्रष्टाचार करते हैं ??
क्या कोटला स्टेडियम का निर्माण करने वाले मज़दूरों ने भ्रष्टाचार किया था ??
क्या किसी भी निर्माण कार्य में मज़दूर भ्रष्टाचार कर सकते हैं ??

क्या बंगारू लक्ष्मण जयललिता या लालू को भ्रष्टाचार करने की बहुत आवश्यकता थी ??
क्या माननीय मनमोहन सिंह को या सलमान खुर्शीद को भी भ्रष्टाचार करने की आवश्यकता थी ??

क्या जेटली जो वकालत से करोड़ों कमाते हैं वो डीडीसीए के स्टेडियम में भुट्टे सेंकने गए थे ??
ये सारे बड़े रईस नेता क्रिकेट संस्थाओं की तरफ ऐसे क्यों खिंचे जाते हैं जैसे गूँ पर मक्खी ??

क्या जेटली जी में इतनी सामान्य बुद्धि भी नहीं थी कि वो ये जान सके कि डीडीसीए में घपला घोटाला हुआ और हो रहा है और आगे भी होता रह सकता है ??
यदि हाँ तो क्या ऐसा बुद्धू व्यक्ति देश का वित्तमंत्री होने लायक है ??
क्या ऐसे सिद्ध बुद्धू को मंत्री बनाया जाना चाहिए था - जो कि खुद का चुनाव तक हार गया था ??

और क्या शरद पंवार जैसे लोग यदि जेटली का बचाव करते दिख रहे हैं तो इसलिए तो नहीं कि हमाम में सब नंगे हैं ??
और यदि हाँ तो क्या नंगों के हमाम में झांक कर नंगों को चिढ़ाना कुढाना डराना धिक्कारना अपमानित करना नंगों कि मानहानि कहलाएगी ????

और यदि नहीं तो फिर केजरीवाल या कीर्ति आज़ाद किस बात के दोषी ?? .. हमाम के नंगों के कैसे मानवाधिकार और कैसा मान ??

पुनश्चः .... मित्रो !! कृपया बहुत गंभीरता से गौर फरमाइयेगा ....
बहुत यकीन से कहता हूँ कि - मजबूर गरीब एक बार चोरी कर लेगा - छीनाझपटी कर लेगा - उठाईगिरी कर लेगा - डकैती डाल देगा - पर वो भ्रष्टाचार तो कर ही नहीं सकता - क्योंकि वो भ्रष्टाचार करने की औकात ही नहीं रखता .... भ्रष्टाचार तो केवल रसूखदार जो किसी ऊँचे नीचे पद पर आसीन होता है वही करता है - और टुच्चा जितना रईस होता है और जितने ऊंचे पद पर आसीन होता है - भ्रष्टाचार वो उतना ही बड़ा करता है ....
और इसलिए मेरा बहुमूल्य अकाट्य आंकलन .... यदि डीडीसीए में उतना ही बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है जितना बताया जा रहा है तो वो अरुण जेटली के अलावा कोई कर ही नहीं सकता था - क्योंकि जेटली के आगे ऐसा करने की किसी की औकात ही कहाँ थी ?? .... और इसलिए ही जेटली के अलावा ना तो कोई अन्य आरोपित है ना कोई परेशान दिखता है और ना कोई प्रताड़ित ही हुआ है .... है ना !!!!

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