Friday 4 December 2015

// केजरीवाल का वेतन निर्धारण - और विरोधी सोच रहे - काश !! ....//


पहले भी सांसद और विधायक अपने तई अपना वेतन तय कर प्राप्त करते रहे हैं - बिना रोक टोक ....

और इस कारण वेतन के ऐसे स्वनिर्धारण के विरुद्ध लोगों का गुस्सा या विरोध या टीका टिप्पणियाँ भी होती रही थीं .... पर बेअसर और बेनतीजा ....

और अब एक बार फिर ये मुद्दा जीवंत हो गया है - क्योंकि इस बार का प्रकरण ज़रा हट के भी है ....
यूँ तो मामला विधायकों के स्वनिर्धारित वेतन संबंधित ही है पर साथ ही ये सीधे-सीधे दिल्ली सरकार के मार्फ़त 'केजरीवाल' से जुड़ जाता है - और इसलिए कइयों की दुखती रग दबा जाता है - और इसलिए ज़रा अलग हो जाता है ....

और ये मुद्दा थोड़ा और अलग भी है - क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के मार्फ़त वेतन वृद्धि भी अच्छी खासी कर मारी है ....

इसलिए इस मुद्दे के तीन पहलू हैं - पहला 'केजरीवाल' - और दूसरा क्या वेतन वृद्धि ज़्यादा तो नहीं - और तीसरा भाजपा और कांग्रेस का विरोध ??

सभी पहलुओं पर मेरी प्रतिक्रिया ....

मुझे केजरीवाल की कार्यप्रणाली उचित लगती है - उन्होंने ससमय वेतन निर्धारण का निर्णय किया है - स्वयं किया है - और पूर्व में गठित एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर किया है .... और जो किया है छाती ठोंक कर किया है - खुल्ले आम किया है - अधिकार प्राप्त हो किया है - और बखूबी किया है ..... इसलिए उनको बधाई !!!!

वेतन कितना हो इस पर अलग अलग राय भी हो सकती है और बहस भी - मसलन मेरे मतानुसार वेतन पहले बहुत कम था - और बढ़ाया गया वेतन थोड़ा ज़्यादा है .... और भक्तों की राय में वेतन कितना हो बताया जाना उचित नहीं होगा पर केजरीवाल द्वारा अभी निर्धारित वेतन जनता के साथ विश्वासघात और जनता के पैसे की लूट हो सकती है - और तो और लोकतंत्र पर एक काला धब्बा भी .... भक्तों की राय सामान्यतः ऐसी ही हुआ करती है ....

पर इस पूरे मुद्दे का जो भाजपाई और कोंग्रेसी विरोध हो रहा है उस विषयक मेरे कुछ प्रतिप्रश्न हैं ....

>> क्या पूर्व में कांग्रेस और भाजपा अपने वेतन भत्ते स्वयं तय नहीं करते आये थे ??

>> क्या केंद्र को अभी तक ऐसे कानून और व्यवस्था स्थापित नहीं कर देनी चाहिए थी जिसके अनुसार सांसदों और पूरे देश में विधायकों का वेतन निर्धारण एक समान और युक्तिसंगत हो जाता ??

>> क्या विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करने के साथ साथ कांग्रेस और भाजपा सार्वजनिक रूप से ये घोषणा करेगी कि उनके अनुसार दिल्ली में विधायकों का वेतन कितना होना चाहिए था ?? .. और साथ-साथ ये भी घोषित करेंगे कि पूरे देश में कोंग्रेसी और भाजपाई ऐसे घोषित वेतन से अधिक ना तो प्रावधान कराएंगे ना होने देंगे और ना ही अधिक वेतन प्राप्त करेंगे ????

मैं आशा करता हूँ कि मेरे प्रश्न पढ़ कर - घुस्सू अपने बिलों में घुस जाएंगे - इस आशा और लालच के साथ कि काश उनका वेतन भी बढ़े .... और दिल्ली जितना ही या उससे भी ज्यादा बढे .... और उनके नेता भी केजरीवाल जैसे ही सोचें और कार्यवाही करें ....

तो मित्रो !! आप पूरा मुद्दा समझ गए ना - "मन मन भाए मूढ़ हिलाए" !!!!

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