Thursday 17 December 2015

// पुरानी शराब ज्यादा नशा देती है - और पुराने चिपके आरोप ज्यादा कष्ट ....//


आज 'आप' की प्रेस वार्ता सुनी - जेटली जी के डीडीसीए के भ्रष्टाचार पर ....

और मेरी समझ से जो भी आरोप लगाए गए हैं - वो बहुत समय से सार्वजनिक रहे हैं - वो तथ्यात्मक प्रतीत होते रहे हैं - और आज भी तथ्यात्मक ही लग रहे हैं .... और भी आज दावा किया गया है कि कुछ दस्तावेज़ी सबूत भी दिए जा रहे हैं - पर फिर मेरी समझ अनुसार वो सबूत के बारे में भी कई बार सुना जा चुका है - जो कभी नकारे भी नहीं गए हैं या नकारे जा सके हैं .... इसलिए कहा जा सकता है कि आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ नया नहीं था ....

पर ठीक है नयापन ना भी हो पर बातों में कोई दम ही नहीं था ऐसा मानना तो बहुत ही बड़ी मूर्खता होगी ....

वो इसलिए कि केवल इस बिनाह पर कि इन सभी बातों का सोई समाधान नहीं हुआ इसलिए जेटली को बख्श दिया जाए या बख्शा जाता रहे यह उचित नहीं होगा .... और वो इसलिए भी कि क्योंकि रॉबर्ट वाड्रा या ललित मोदी या गडकरी या अशोक चव्हाण या वसुंधरा या शिवराज चौहान या रामनरेश यादव  या वीरभद्र या जीतेन्द्र तोमर स्मृति ईरानी आदि पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो आगे भी कुछ ना हो ऐसा तो नहीं चलेगा ना ??

और सबसे बड़ी बात ये है कि - आज पुराने आरोपों में दम इसलिए भी आ गया है क्योंकि ये आरोप केजरीवाल ने दोहराए हैं - और केजरीवाल एक ऐसा भूत है जो अच्छों अच्छों की हवा ख़राब करता रहा है ....
हाँ एक कारण और है कि - अब लगाए गए पुराने आरोप आज की राजनीति से प्रेरित हैं - केजरीवाल की कुशल नई राजनीति का एक महत्वपूर्ण दमदार कदम .... और इसलिए आरोपों में दम आ ही गया है ....

और शायद इसीलिए ही तो तमाम मीडिया और मोडिया में चिल्लाचोट पसरी पड़े जा रही है ....  

और इसी संबंध में एक पुरानी ही सही पर दमदार बात छोड़ता चलूँ .... " पुरानी शराब ज्यादा नशा देती है - और पुराने चिपके आरोप ज्यादा कष्ट " .... हा !! हा !! समझे ना जेटली जी !!

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