Saturday 8 August 2015

//// संसद की कार्यवाही नहीं चलने के कारण नुक्सान की भरपाई कैसे हो ....////


कई ज्ञानी और फिकरमंद बताते रहे हैं कि संसद की कार्यवाही को चलाने के लिए देश का बहुत पैसा खर्च होता है - कई करोड़ में ....
इसलिए माँग उठती रही है कि अब जितने दिन संसद की कार्यवाही नहीं चली है - उतने दिन सांसदों को वेतन भत्ते नहीं देना चाहिए - या उसका पैसा जवाबदार सांसदों से वसूलना चाहिए ....

पर मैं इतने से संतुष्ट और सहमत नहीं हूँ .... क्योंकि मुझे अपने कॉलेज के ज़माने की एक घटना अच्छे से याद है ....

कॉलेज के स्वर्णिम दिनों में हम दोस्त पिक्चर देखने टॉकीज़ पहुंचे - मेरे पास नई साईकिल थी .... स्टैंड पर साईकिल को ताला लगा हम जाने लगे .... तो एक छोटा सा छोरा चिल्लाते हुए बोला .... साईकिल में ताला मत लगाओ .... मैंने बोला - ताला मत लगाओ ? .. क्यों रे ताला क्यों नहीं लगाऊं ?? .... जवाब मिला - अरे शो छूटता है तो सारी साइकिलें इधर उधर करनी पड़ती हैं .... तो मैं बोल पड़ा - अरे यार ! लेकिन यदि साईकिल चोरी हो गई तो क्या ? .... तपाक से जवाब आया - अरे आप फालतू बहस मत करो - साईकिल चोरी चली जाए तो अपनी चवन्नी वापस ले लेना - अभी फालतू मेरा समय क्यों खोटी कर रहे हो .... !?!? ....

यानी सैंकड़ो की साईकिल के एवज़ में चवन्नी ???? 

अब जरा गौर फरमाएं कि क्या संसद की कार्यवाही नहीं चलने पर क्या करोड़ों का ही नुक्सान होता है .... क्या कभी आपने सोचा कि नुक्सान पूरे देश की अर्थव्यवस्था आदि पर भी पड़ता है जिसकी गणना करने के लिए ज्ञानी और फिकरमंदों को कई दिन लग जाएंगे और जो अरबों और खरबों में होगी ....

इसलिए इन सांसदों को वेतन भत्ते ना देना या सांसदों से करोड़ों वापस लेना तो ऐसा ही होगा जैसे साईकिल चोरी होने पर स्टैंड वाले से चवन्नी वापस लेना ....

लेकिन अब समाधान क्या ??

मित्रो ! कॉलेज के दिनों में तो शायद मुझे कोई समाधान नहीं सूझा था ..... मैं साईकिल स्टैंड पर खड़ा उस छोरे को देख हँस रहा था - मैंने महसूस कर लिया था कि उस चपल छोरे की आर्थिक औकात वाकई चवन्नी की ही रही होगी - और साईकिल का ताला खोल पिक्चर देखने चला गया था .... पर आज समाधान मेरे पास है ....

सबसे पहले हमें यह नीतिगत बात समझने की आवश्यकता है कि चवन्नी साईकिल कि हिफाज़त के लिए दी जाती है .... और हिफाज़त में नाकाम होने पर अर्थात साईकिल की चोरी होने पर पूरी साईकिल की कीमत प्राप्त करने का अधिकार बनता है ....

अतः मुझे लगता है कि इन सभी सांसदों की सारी संपत्ति जप्त कर इनको ज़िंदा रहने पूर्ति चवन्नी टिका इन सबकी छुट्टी कर देनी चाहिए .... और तब भी देश के नुक्सान की पूर्ती ना होने पर हमें कड़वा घूँट पी लेना चाहिए .... नुक्सान को सहन कर जाना चाहिए .... मजबूरी में ही सही .... पर हाँ एवज़ में दो चार लात मारने के ऑप्शन पर भी विचार किया जा सकता है !!!!

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