Friday 7 August 2015

//// एक था छगन .... एक हैं सुषमा ....////


पिछले दिनों की ही बात है .... जब तब लगातार बारिश होती रही है .... और छगन भाई परेशान होते रहे हैं .... परेशानी का कारण - छगन जब तब कपड़े धो तार पर सुखाने डालता - बारिश आ जाती .... ऐसा कई बार हुआ .... घर के सारे कपडे गीले - घर में सीलन पसरी हुई ....
लेकिन पिछले इतवार का दिन .... छगन लंबी नींद के बाद अंगड़ाई लेते उठा तो बाहर चमकीली धूप निकली हुई थी .... छगन खुश .... सारे कपडे फटाफट इकट्ठे कर धोने की तैयारी कर ली - पर अंतिम समय मालूम हुआ साबुन खत्म है .... छगन ने दौड़ लगा दी पास ही किराने की दुकान तक साबुन लाने के लिए .... पर जैसे ही दुकान की सीढ़ियां चढ़ रहा था बादल गरजने की आवाज़ आई .... छगन ने २-४ सीढ़ी उतर आसमान की तरफ देखा - एक काले बादल का टुकड़ा !! बरसने का तैयार !! .... छगन आसमान में बादल को देख बोला .... कहाँ ???? किधर ???? मैं तो बिस्कुट लेने आया हूँ ....

मित्रो ऐसा ही कुछ कल भी हुआ - सुषमा के साथ जिनके कई दिनों से ग्रह खराब चल रहे हैं .... मानसून सत्र चल रहा है - पूरा देश गरज बरस रहा है - संसद जब तब चलती सुषमा प्रकरण आड़े आ जाता - संसद ठप्प - सुषमा चुप ....
पर कल सुषमा को मौका मिला - पूरी संसद बिना विपक्ष दिखी .... सुषमा खुश .... और देश की जनता के नाम बयान दे दिया .... मैंने ललित मोदी की नहीं ललित की पत्नी की मदद की .... (ठीक वैसे ही जैसे छगन ने कहा मैं तो साबुन नहीं बिस्कुट लेने आया हूँ ) ....

मित्रो !! एक 'वक्तव्य का चुटकुला' - और एक 'चुटकुले का वक्तव्य' - मैंने आपके समक्ष रखा है ....

अब आप ही कल्पना करें कि >>>>
क्या छगन के वक्तव्य से गरजते बादल मूर्ख बन गए होंगे ????
क्या सुषमा के वक्तव्य से गरजते देशवासी मूर्ख बन जाएंगे ????

कल्पना आपकी .... निर्णय आपका .... !!!! धन्यवाद !!!!

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