Tuesday 11 August 2015

//// आइये हाल फिलहाल 'अर्थक्रान्ति' को भूल हम 'संसदक्रांति' की ही आशा करें ..////


तो अब बारिशों के बीच संसद सत्र की अंतिम साँसे चल रही हैं .... सत्र डूब रहा है ....

पूरे सत्र में ना सत्तापक्ष झुका ना विपक्ष .... मैं दोनों पक्षों की हौसला अफ़ज़ाई करता हूँ .... नहीं तो थूक के चाटने वालों की दोनों ही सत्तापक्ष विपक्ष में कमी नहीं है ....

पर आज भी लोकसभा में कई सांसद प्लेकार्ड लेकर मौजूद रहे - और तो और आज तो पक्ष विपक्ष दोनों ने खूब हंगामा किया - सदन के बीच आकर धक्का मुक्की तक कर मारी .... पर ना मालूम क्यों स्पीकर ने आज सांसदों का निलंबन नहीं किया - मूड नहीं हुआ होगा - या मूड कम खराब होगा - या ना मालूम क्यों ???? 

और अब अंत में मुद्दा भड़का है GST बिल का ....

सभी बोल रहे हैं कि ये बिल बहुत अच्छा है - अर्थव्यवस्था सुधार के ही पक्ष में है - देश में क्रांति ला सकता है - अर्थक्रान्ति !! .... और हाँ कह रहे हैं कि पिछले ७ साल से लटका था - यानी क्रांति लटकी पड़ी थी .... कारण आज का सत्तापक्ष तब विपक्ष था और आज का विपक्ष तब का सत्तापक्ष था .... और जनता का पक्ष लटका हुआ था - अर्थक्रान्ति की तरह - उल्टा मुहं के बल ....

पर विपक्ष झुकने को तैयार नहीं - पहले सुषमा का त्यागपत्र करवाओ - और तो और राहुल गांधी ने तो यहां तक मानसून सेल जैसा लुभावना ऑफर तक दे दिया कि सुषमा जी ये बता दें कि ललित मोदी के द्वारा परिवार के सदस्यों के खाते में कितना पैसा डाला - हाउस चल जाएगा .... यानि सुषमा प्रकरण देश की अर्थव्यवस्था से ज्यादा जरूरी है ....
अब ये बात अलग है कि विपक्ष के भी विपक्ष मुलायम आज झुक गए .... पर याद रहे अर्थव्यवस्था के लिए नहीं - बल्कि तोते से डरकर .... क्योंकि आजकल तोता उड़ान भर नोएडा के फरार चीफ इंजीनियर 'यादव सिंह' को ढूंढ रहा है और 'यादव' घबरा रहे हैं .... 

और सत्तापक्ष भी अड़ियल घोड़े जैसा अड़ा है - अर्थव्यवस्था गई भाड़ में - कौन सा त्यागपत्र ? कैसा त्यागपत्र  ? किसका त्याग पत्र ? - पागल हो गए क्या ? बौरा गए क्या ? - पिछले ७ साल हमने ये बिल पास नहीं होने दिया तो क्या पहाड़ टूट गया ??
अब ये बात अलग है आडवाणी "फूफाजी" आज थोड़े नाराज़ हो गए .... पर वो भी अर्थव्यवस्था के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि कोई पूछ नहीं रहा तो पूछ परख करवाने के लिए मौका ताड़ा होगा .... ठीक 'शत्रु भाई' स्टाइल में ....   

तो आज मैं भी सोच रहा हूँ - कि GST बिल भले ही पास हो ना हो - पर अब इस स्थिति में आकर ना तो सत्तापक्ष और ना विपक्ष को झुकना चाहिए - और जो झुक जाएगा उसे धिक्कार होगा .... यानी 'जो डर गया वो मर गया' ....
और मेरी तो स्पीकर से भी यही मांग है कि भले ही आज प्लेकार्ड वालों और हंगामा करने वालों को निलंबित ना किया हो पर कल सबको निलंबित कर दिया जाए - भले ही संसद सत्र का बट्टा ही बैठ जाए ....

तो मित्रो !! आइये हाल फिलहाल तो 'अर्थक्रान्ति' को भूल हम 'संसदक्रांति' की ही आशा करें ....
देखें कि बेशर्मी का क्या अंजाम होता है - सत्तापक्ष कब तक विपक्ष नहीं होता !!!!

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