Monday 10 August 2015

//// एक सांसद का अनुकरणीय कदम .... क्या अन्य सांसद अनुसरण करेंगे ??..////


झारखंड के देवघर के बाबा धाम में जब आज तड़के सावन के दूसरे सोमवार पर पूजा की होड़ में भगदड़ मची तो 11 लोगों की मौत हो गई है - 50 से ज्यादा जख्मी  हो गए ....
हादसा अत्यंत दुखद है .... और इसमें जवाबदार और जिम्मेदार कौन ? इस विषयक अनेक कथन कथानक हो सकते हैं - बहस आरोप प्रत्यारोप भी होंगे .... 

होने भी चाहिए - क्योंकि उस धार्मिक स्थल पर जो कुछ हो रहा था वह अप्रत्याशित नहीं था .... क्योंकि ऐसी ही भीड़ तो हर वर्ष जुटती ही है .... और क्योंकि भीड़ आती है इसलिए कुछ मान्यताएं हैं - और क्योंकि कुछ मान्यताएं हैं इसलिए भीड़ होती है .... और भीड़ क्या होती है ये वही जान गए होंगे जो भीड़ का अंग हो भीड़ के शिकार हो गए .... भीड़ में हर कोई दयालू धर्मालु समझदार हो सकता है - पर भीड़ भी हमेशा समझदारी का परिचय दे ऐसा होता नहीं है .... क्योंकि भीड़ तो भीड़ होती है ....

और इसलिए 'भीड़ नियंत्रण' होना आवश्यक है .... पर प्रायः देखा गया है कि इस विधा में प्रशासन तो छोड़ भगवान भी मात खा जाते हैं .... कई बार तमाम इंतज़ामात और सारे उपदेश प्रवचन और मान्यताएं और कृपा और शक्ति धरी की धरी रह जाती हैं ....

इसलिए शायद इस भीड़ में मरने वालों या भीड़ द्वारा कुचल दिए गए लोगों की मौत का ज़िम्मेदार या तो प्रशासन को या भगवान को या भीड़ को या सबको ठहराया जा सकता है ....

पर स्थानीय बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भगदड़ की घटना के लिए अपनी ही सरकार को जिम्मेदार ठहराया है .... दुबे जी ने कहा है कि देवघर में दर्शन के लिए प्रशासन ने जो इंतजाम कर रखे हैं वो नाकाफी है - और उसी वजह से ये हादसा हुआ है ....

और मैं और स्वयं दुबे जी भी ऐसा मानते हैं कि वे स्वयं सांसद होने के नाते प्रशासन के अंग है - और उन्होंने बेबाकी से अपने आपको - अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार को - और केंद्र सरकार को दोषी माना है .... और भीड़ को और भगवान को बख्श दिया है ....

मैं सोचता हूँ कि ये सांसद दुबे जी का बड़प्पन बेबाकी और दिलेरी है - और इसलिए मैं उनकी प्रशंसा करता हूँ ....
प्रशंसा इसलिए कि जनहित की सही बात को जनता के बीच आ पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बिना लॉग-लपेट कहना आजकल की दयनीय राजनीति में बहुत कम ही देखने को मिलता है .... पार्टी की लाइन पर चलने की अपनी सीमाएं और मर्यादा होनी चाहिए .... पर ऐसे विषयों में जिसमें ११ लोगों की मौत हो गई हो - 'मानवीय आधार' 'पार्टी आधार' से ऊपर ही होना चाहिए .... नैतिकता का पालन भी होना ही चाहिए !!!!   

और इसलिए देवधर के स्थानीय बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे जी को बधाई और साधुवाद !!!!

और मैं आशा और आह्वाहन करता हूँ कि - मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले में भी अनेक मारे गए लोगों और बिन मरे मर रहे अनेक निर्दोष या छोटे मोटे गुनाह के दोषियों के प्रति संवेदनशील हो यहाँ के भाजपाई और केंद्र के भाजपाई भी 'मानवीय आधार' पर 'पार्टी आधार' से ऊपर उठकर कुछ नैतिक करेंगे - या कम से कम कहेंगे !!!!

देखता हूँ मध्यप्रदेश का वो पहला 'निशिकांत दुबे' कौन होगा जो यह सत्य कहेगा कि व्यापम में पार्टी और उसके शीर्षस्थ नेता जिम्मेदार हैं - और नैतिकता के नाते ही सही शिवराज को इस्तीफ़ा देना चाहिए !!!!

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