Saturday 8 August 2015

//// राधे माँ के बहाने कुछ तर्कसंगत प्रासंगिक भी सोचें ....////


क्या मॉडलिंग एक्टिंग आदि करना अपराध है ? तो क्या सुबह शाम हम टीवी पर अपराधी देखते हैं ?
क्या लाल कपडे पहनना अपराध है ? तो फिर सफ़ेद या भगवा कपडे क्यों नहीं ?
क्या ऐशो आराम की ज़िन्दगी जीना अपराध है ? तो क्या संसद में कोई है जो अपराधी नहीं ?
क्या धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाना अपराध है ? तो क्या नेताओं द्वारा मूर्ख बनाना अपराध नहीं ?
क्या अपने को देवी कहलवाना अपराध है ? तो क्या अपने को गरीबों का मसीहा कहलवाना अपराध नहीं ?
क्या अपनी पूजा करवाना अपराध है ? तो क्या अपने पाँव पड़वाना अपराध नहीं ? 
क्या डांस करना अपराध है ? तो इस देश में अपराधियों की संख्या कितनी होगी ?

ऐसे ही प्रश्न तो कई हो सकते हैं - सैकड़ों प्रश्न !! .. और इनके जवाब भी कई प्रकार के हो सकते हैं - कुछ अतार्किक तो कुछ तर्क संगत और सटीक भी - यानि लाजवाब !! 

और जनाब !! कई प्रतिप्रश्न कई लोगों को असहज भी कर सकते हैं .... मसलन ....  

पर राधे माँ को सही तो कत्तई नहीं ठहराया जा सकता !! .. पर क्या सुषमा को सही ठहराया जा सकता है ??
राधे माँ अपने भक्तो को धोखा देने की दोषी हैं !! .. तो क्या मोदी अपने भक्तों को धोखा देने के दोषी नहीं ??

उपरोक्त बातें लिखने का मेरा आशय केवल इतना ही है कि आप जब भी राधे माँ के बारे में अपनी नाराज़गी गुस्से या घृणा का वाजिब इज़हार करें तो पहले तो उनके मानने वाले भक्तो की बेवकूफी पर भी विचार करें .... और ये भी विचारें कि हमारी राजनीति में भी कितनी राधे माँ और कितने निर्मल बाबा घुसे पड़े हैं ....और ये भी कि क्या आप भी किसी ऐसे वैसे के भक्त तो नहीं ????

और क्या हर वो कुकृत्य जो कानून की कसौटी पर अपराध ना हो - क्या अपराध नहीं होता ????

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