राधे माँ के लगातार टीवी कवरेज पर आज टीवी बहस में धर्म की दुहाई देने की ठेकेदारी प्राप्त किये कुछ जाने पहचाने सेहतमंद तिलकधारी चेहरे जो आसाराम के फंसने के समय से अपनी पोजीशन लिए बैठे हैं राधे माँ की भी तरफदारी कर रहे थे ....
और मीडिया को दोष दे रहे थे - कि वो फ़िज़ूल में राधे माँ को इतना क्यों दिखा रहे हैं ....
उधर सरकार है कि कई टीवी चैनलों को नोटिस जारी कर बैठी है कि - बताओ याकूब की फांसी में इतना ज्यादा और बकवास कवरेज क्यों किया ??
उधर उच्चतम न्यायालय ने कई बंदिशें लगा दी हैं कि विज्ञापन कैसे हों और कैसे नहीं हो ....
संसद की कार्यवाही भी अब नियंत्रित कैमरे से ही दिखाई जा रही है - बस एक चेहरे को देखते बैठो ....
यदाकदा प्रसारित पूर्व निर्धारित लाइव क्रिकेट मैच देखने की भी अब इच्छा नहीं होती ....
हाल फिलहाल 'आप' पार्टी भी अपने काम में व्यस्त है और केजरीवाल भी कुछ मसालेदार नहीं दे रहे हैं ....
और मोदी जी तो जैसे दृश्यपटल से पूर्णतः विलुप्त विलोपित हो गए हैं .... शायद १५ अगस्त को ही बोलेंगे और उसके बाद २६ जनवरी को दिखेंगे ....
और भाजपा के संबित पात्रा को सुन अब कांग्रेस के संजय झा याद आने लगे हैं - इंतेहा पकाऊ ....
और अर्नब गोस्वामी को सुन लगता है बैकग्राउंड में सब्जी मच्छी मार्केट की रिकॉर्डिंग चल रही है ....
और सभी सीरियल लम्बे लम्बे .... और किरदार बिल्कुल गजेन्द्र चौहान माफिक ९० एपिसोड में एक जैसे .... सचमुच पकाऊ ....
तो मैं सोच में पड़ गया हूँ कि क्या अब रेडियो सुना जाए - या किसान चैनल ??
नहीं बिलकुल नहीं ..... चिंता की कोई बात नहीं .... "फेसबुक" है ना .... !!!! धन्यवाद !!!!
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