दिल्ली में एक जगह का नाम है "जंतर मंतर" - नाम में ही जादू या अजब गजब सा कुछ लगता है ....
और इसी जगह पर हमारे कभी रक्षक रहे सेवानिवृत फौजी किसी "जंत्री मंत्री" के वायदा खिलाफी से क्षुब्ध हो प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हुए .... सो पिछले ६० वर्षों तक देश की सेवा करने के पश्चात आज 'बेचारे' हो पिछले ६० दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं ....
और आज उनका "जंतर मंतर" पर प्रदर्शन "खतरा" मान लिया गया है .... तथा बल प्रयोग द्वारा उन्हें वहां से खदेड़ा जा रहा है ....
उस "जंत्री मंत्री" जिसका पद प्रधानमंत्री है और नाम है नरेंद्र मोदी उसको धिक्कार है !! - क्योंकि मेरे समक्ष में स्पष्ट है कि हमारे पूर्व सैनिकों को किये गए स्पष्ट वायदे अनुसार उन्हें एक रैंक एक पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है ....
सरकार और भाजपा से जुड़े अपने आपको देशभक्त मानने वाले और बात बात में इस देश की आन बान शान के लिए अपना खून खौला देने वाले सभी मित्रों से भी मैं आग्रह करूंगा कि इस राष्ट्रीय दायित्व और शर्म के मुद्दे पर सब अपने अपने स्तर से "जंत्री मंत्री" को धिक्कारने का काम करें .... क्या है जब अपने ही लोग "मानवीय आधार" की बात उठाते हैं तो अमानवीय प्रकृति को बहुत ज़ोर के ठेस पहुँचती है .... "जंत्री मंत्री" में पैवस्त अमानवीय पक्ष "छू मंतर" हो सकता है ....
तो आइये "मानवीय आधार" पर नारा बुलंद करें ....
छू मंतर काली कलंतर !
जंत्री मंत्री - जंतर मंतर !!
मिटा दे पेंशन में अंतर !!!
वर्ना हो जाएगा - छू मंतर !!!!
Shame on India government ......
ReplyDeleteयह देश के नेता सत्ता मैं आने के बाद इतने घमंडी क्यों हो जाते हैं। क्या यह देश के सैनको से बात करके को ठोस नतीजे पर नहीं पहुँच सकते। देश के सैनको को भाषणो मैं बड़ी बड़ी उपादि देने वाले और बड़े बड़े गुणगान करने वाले यह नेता असलियत में क्या हैं आप सब को अब जान जाना चाहिए। इनके लिए सारे मुद्दे बस चुनाव तक ही सीमत होते हैं। कब तक यह देश की जनता को बेफ़्कूफ बनाते जायेंगे। ……?
ReplyDeleteसही कहा सर आपने ....!
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