Sunday 11 January 2015

//// भगवान द्वारा "सीमा-उल्लंघन" को चुनौती कौन देगा ? ////

आजकल कई जगह से ये आवाज़ उठ रही है और मेरे कुछ काबिल दोस्त भी बहुत शालीनता से और अपनी सीमा में रहते इस आशय की बात कह रहे हैं कि - फ्रांस में जो कुछ हुआ वह दुखद तो था ही पर ..... चार्ली एब्दो मैगज़ीन के कार्टूनिस्ट या संपादक "सीमा" पार कर गए थे .... उन्होंने शायद उसका मज़ाक उड़ाया था जो हमारे मत में सबसे ऊपर है - आदि !!!!
मेरी विवेचना ....
जो उपरोक्त "सीमा उल्लंघन" की बात कर रहे हैं - शायद वो हमेशा से कहा और माना जाता रहा यह जुमला भी मानेंगे कि - "आखिर हर चीज़ की एक सीमा होती है" ....
और यदि मैं भी ये मान लूँ कि उपरोक्त बात सत्य है तो फिर तो यह भी प्रतिपादित हो जाता है कि - इस दुनिया की भी सीमा है - इस ब्रह्माण्ड की भी सीमा है - इस सृष्टि कि भी सीमा है - और इसलिए इस सृष्टि बनाने वाले की भी तो सीमा होगी ही .... और यदि सीमा है तो सीमा उल्लंघन भी संभव हुआ ....
और मेरे हिसाब से तो वो ऊपरवाला भी अपनी सीमा का उल्लंघन करता ही है - जैसे बाढ़ भूकम्प में तबाही आप के और मेरे बस में कहाँ ? और विनाश में उसे अच्छे बुरे का ज्ञान संज्ञान भी कहाँ ??
तो मान लीजिये कि एक अदना सा कार्टूनिस्ट उस ऊपरवाले को धिक्कारता है या उससे प्रश्न पूछता है कि तूने अपनी सीमा का उल्लंघन क्यूँ किया ? तो इसे सीमा उल्लंघन कैसे माना जा सकता है ??
क्या शैलेन्द्र के बोल - "दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी - काहे को दुनिया बनायी" भी सीमा उल्लंघन माना जाएगा ???? क्या धार्मिक रूढ़ियों को आइना बताना भी सीमा उल्लंघन माना जाएगा ?? क्या राम मोहन राय या मदन मोहन मालवीय या महत्मा फुले या दाभोलकर जैसे लोगों को भी गलत ठहराया जाएगा ????
नहीं कदापि नहीं - बल्कि अब तो मैं ये विश्वास से कह सकता हूँ कि जिस व्यक्ति ने अपनी अभिव्यक्ति को किसी भी सीमा में संकुचित किये बिना निःस्वार्थ एक सर्वमान्य मर्यादित व्यस्वस्था या प्रथा अनुसार प्रदर्शित कर दिया वो ही धन्य और सच्चा - बाकी हम जैसे डरते डराते सकुचाते और ओढ़ी हुई या थोपी गयी मर्यादाओं का ध्यान रखते रखाते क्या खाक़ अभिव्यक्त करेंगे ????
अतः अपने स्वार्थ या सनक या स्वाभाविक बुद्धि या तो फिर तार्किक बुद्धि अनुसार ही संकुचित सीमांकन करने वालों से विनम्र विनती - कृपया पुनर्विचार ज़रूर करें !!!!
और तथाकथित उपरोक्त "सीमा" पार करने वाले चार्ली एब्दो मैगज़ीन के निर्भीक दिवंगत कार्टूनिस्ट और संपादकों को मेरी श्रद्धांजलि और सलाम स्वरुप मेरे दिल दिमाग से लिखा ये लेख सादर समर्पित ....

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