Thursday 29 January 2015

//// क्रांतिकारी का झूठ - बनाम - झूठों का सच .... फैक्ट्री - बनाम - उद्योग ....////


मित्रों आप को ज्ञात ही होगा कि कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक 'झूठ की फैक्ट्री' चलने का पर्दाफाश हुआ था .... फैक्ट्री मालिक एक क्रांतिकारी था .... कुछ दिन पहले ही उसने कहा था कि "भाजपा और कांग्रेस दोनों चुनाव पूर्व पैसा दारु आदि बांटते हैं" !!!!
बस फिर क्या था सत्यवादी हरिश्चंद्र की सभी जायज नाजायज औलादें एकजुट हो गयीं .... और इन्होने भी एक वृहद 'सच बोलने का उद्योग' खोल दिया .... और क्रांतिकारी का मुंह मफलर बांध बंद करने का प्रयास किया !!!!
तब से - और अब से - और जब से - और ना जाने कब से - ये सच का उद्योग दिल्ली में फल फूल रहा है .... इसके लिए बाकायदा एक 'सच मित्रमंडल' का गठन हुआ ..... और इस धरती पर सच बोलने का शुभारम्भ दिल्ली की पावन धरती से शुरू हुआ .....शुरआत में ही दो टूक बोल दिया गया - "सबका साथ सबका विकास" - "अच्छे दिन" - "कालाधन" - आदि .... और अब सच बोलने की होड़ लगी हुई है .... जहां देखो सच बिखरा हुआ है .... कड़ाके की सर्दी में भी केवल सच ही कुछ गर्माहट छोड़ जाता है ..... सच की बहार है .... सच की बौछारें हो रही  हैं .... पूरा वातावरण सच से सराबोर है .... और अब तो 'सच मंत्रिमंडल' ने 'सच मित्रमंडल' का कार्य अपने हाथों में ले लिया है .... और पूरा 'मंत्रिमंडल' ही सच बोलने के काम में लग गया है ..... पूरी लगन और नंगाईयत के साथ - सारा काम धाम छोड़ के .... और सुना है कि 'सच मंत्रिमंडल' के प्रधान ने भी अब दिल्ली में ४-४ बार सार्वजानिक रूप से सच बोलने का बीड़ा उठा लिया है .... और पूरा 'मंत्रिमंडल' अपने दायित्वों की बलि चढ़ा देश को भाड़ में झोंकने तक के लिए तत्पर बस सच बोलने के चक्कर में दिल्ली की गलियों में निकल पड़ा है .... आयरन लेडी भी सायरन बजा बैठी आवाज़ में सच का उद्घोष कर रहीं हैं !!!!

पर मित्रो सच के ऐसे अभूतपूर्व आलम के बावजूद मुझे किसी भी प्रकार के आनंद की अनुभूति छू तक नहीं गई .... मैं उद्वेलित हो उठा .... मंथन किया कि आखिर ऐसा क्यों ? तब जाकर मुझे सामान्य सा एक और सच समझ आया कि .... // सच कड़वा होता है // .... छिः थूः - धिक्कार है ऐसे सच पर !!!!

अब मुझे तो बस उस क्रांतिकारी का सदाबहार झूठ ही मीठा लगता है .... बहुत मीठा - सारगर्भित और लाभदायक - और "सत्य" भी .... और हाँ चौंकिएगा मत .... मुझे तो वही 'झूठ' अब 'सच' भी लगता है !!!!
फैसला आपको करना है .... झूठों का 'कड़वा सच' आत्मसात करना है या - सच में 'मीठा झूठ' !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

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