Tuesday 27 January 2015

//// कोट पर नाम अंकन अंग्रेजी में क्यों ? ७८६ बार क्यों ? .... चड्डी पर क्या ? .... ////


सुना है कुछ भक्तों ने ऐतराज़ जताया है कि कोट पर नाम अंग्रेजी में क्यों अंकित किया गया - हिंदी में क्यों नहीं ? - UN में भाषण तो हिंदी में दिया था ....
और सुना है इस बीच कुछ मुस्लिम छोरों ने अफवाह उड़ा दी है कि नाम पूरे ७८६ बार अंकित था और सूत्र बता रहे हैं कि इस पर भी बेफिजूल बवाल कटने लगा .... शायद आपत्ति ली जा रही थी कि नाम १००८ बार अंकित क्यों नहीं हुआ ७८६ बार किस गुणा-भाग से ??

इस पर सूत्र बता रहे हैं कि अब सफाई दी गयी है कि ..... सर्व प्रथम तो नाम का अंकन १००१ बार था ७८६ बार नहीं .... और इसके अलावा शायद ये भी बताया गया है कि ..... चड्डी पर अंकन हिंदी में ही था ..... चड्डी के पूरे पट्टे घेरे पर लिखा था ....
"- नरेंद्र दामोदरदास मोदी - प्रधानमंत्री - भारत सरकार - नई दिल्ली - भारत -"

अतः मित्रों मेरा निवेदन है कि बिला वजह फालतू की बातों पर विरोध करना उचित नहीं है ....
कोई क्या पहनता है ये एक सर्वथा निजी विषय है - और निजता का सम्मान होना चाहिए !!!!
मैंने कई बार देखा है मसलन जैसे कि ....
छोटे बच्चों को गले में नाम का पट्टा डाला जाता है ....
कई बार तो पालतू कुत्तों को भी नाम का पट्टा डाला जाता है क्योंकि अब जानवर तो अपना नाम बोल नहीं सकता तो कोई पढ़ कर ही जान ले कि ये कौन सा कुत्ता है ....
और मैंने आपने ये भी देखा ही होगा कि सामान्यतः पागलखाने में पागलों और अस्पताल में मरीज़ों को भी नाम का बिल्ला या बैंड लगाया जाता है ....

अतः सबको अपनी व्यक्तिगत स्थिति अनुसार अपने नाम का अंकन करने कराने का अधिकार है - और इसलिए मोदी जी द्वारा अपने कोट पर नाम के अंकन करने हेतु उनकी अनावश्यक निंदा की मैं कड़े से कड़े शब्दों में घोर निंदा करता हूँ ....
अरे !! उनकी निंदा ही करनी है तो कई सौ अन्य अनेक कारण हैं .... हैं ना !!!!

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