अभी एक नई बहस की चेष्टा की जा रही है - और बहस है अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी की व्यक्तिगत तुलना विषयक .... हर कोई दोनों की समानताएं और विशेषतायें बता रहा है ....
मोटे तौर पर बहस में एक पक्ष ये कह रहा है कि अब जब किरण बेदी भाजपा में आ गई हैं तो वे अच्छी कैसे हो गईं और पहले गलत क्यों थीं ? और एक पक्ष ये पूछ रहा है कि भाजपा में आने के पहले किरण बेदी यदि अच्छी थीं तो वो आज क्यों गलत हो गईं ???? आदि इत्यादि ....
मैं ऐसी अपरिपक्व बातों पर अपनी-अपनी सुविधा और मौकापरस्ती के उद्देश्य से की जा रही बहस को ख़ारिज करता हूँ .... और अपनी विवेचना और अभिमत आपके समक्ष रखता हूँ !!!!
// सर्वप्रथम तो मैं भाजपाइयों और किरण बेदी को चैलेंज करता हूँ कि यदि बहुत शौक है किरण बेदी और केजरीवाल की तुलना करने का तो किरण बेदी भी पहले अपने दमखम से एक राजनीतिक पार्टी बना के बताएं ???? याद रहे मौकापरस्ती का घटिया परिचय देते हुए एक घटिया पार्टी ज्वाइन करने में तो एक दिन लगता है बल्कि आजकल तो बस एक मिस कॉल - पर 'आप' जैसी पार्टी का निर्माण करने में एक विशेष योग्यता दूरदर्शिता कड़ी मेहनत दृढ़संकल्प परिपक्वता सही नीयत और कई वर्ष का समय लगता है - ये कोई बच्चों और टुच्चों का खेल नहीं है - समझे श्रीमान श्रीमती ?? //
आगे मैं पूछना चाहता हूँ कि एक भाजपाई की क्या परिभाषा है - यही ना कि वो भाजपा में हैं ?
यानि आज से ५ दिन पहले किरण बेदी भाजपाई नहीं थीं .... पर आज वो भाजपाई हैं !!
और किरण बेदी कोई निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ रहीं है - और वो भाजपा मुख्यमंत्री की ही तो उम्मीदवार हैं - और यदि वो मुख्यमंत्री बनती हैं या वो केवल एक विधायक ही चुन के आती हैं - तो भी क्या वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेंगी ? क्या तब उन पर पार्टी अनुरूप चलने का दायित्व और मजबूरी नहीं होगी ? क्या तब उनको पार्टी व्हिप मान्य नहीं करनी होगी ? क्या मोदी-शाह की इच्छा अनुसार कार्य करना आवश्यक नहीं होगा ? क्या तब उनको अपने 6P के अलावा 10X 50Y 100Z आड़े नहीं आएंगे ??
मित्रों ये बात अच्छे से समझने की आवश्यकता है कि अब जबकि किरण बेदी एक भाजपाई भी हो गईं हैं अतः उनका स्वतंत्र आंकलन करना बेमानी होगा .... ठीक वैसे ही जैसे अरविन्द केजरीवाल के द्वारा जन आंदोलन छोड़ 'आप' पार्टी बनाने के बाद उनका भी आंकलन स्वतंत्र रूप से नहीं होता है - बल्कि उनका आंकलन एक राजनीतिक नेता और 'आप' पार्टी के प्रमुख के रूप में होता है ....
मसलन जब सोमनाथ भारती या फर्जी स्टिंग CD जैसे प्रकरण हुए - अभी दो उम्मीदवारों का टिकट काटने का वाकया हुआ - जब तब बिन्नी अन्ना शज़िआ किरण आदि के बारे में बातें उछली - तो क्या हुआ ? प्रश्न केजरीवाल के समक्ष रखे गए कि नहीं ? और क्या केजरीवाल ने सभी प्रश्नों के जवाब दिए कि नहीं ? और क्या वे जवाब एक पार्टी प्रमुख की हैसियत से दिए गए कि नहीं ? वो भाग तो नहीं गए कि मैं तो केजरीवाल हूँ जाओ उनसे पूछो जिनसे ये सवाल संबंधित हैं ? नहीं ना !! .... यानि ये सिद्ध होता है कि अब केजरीवाल केवल केजरीवाल नहीं हैं वो एक 'आपियन' भी हैं - वो 'आप' पार्टी के प्रमुख भी हैं - और उस पार्टी के प्रति जवाबदेह भी !!!!
इसलिए अब क्योंकि अरविन्द केजरीवाल 'आपियन' हैं और किरण बेदी 'भाजपाई' इसलिए यदि उनकी राजनीतिक तुलना करनी ही है तो ये तुलना समग्र रूप से ही करना होगी .... उनकी व्यक्तिगत गुणदोष के अलावा उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के गुणदोष भी देखने ही होंगे !!!!
इसलिए मैं पाता हूँ कि मौकापरस्त बदनीयत बड़बोली फेंकू किरण बेदी न केवल व्यक्तिगत गुणदोष में क्रांतिकारी ईमानदार अरविन्द केजरीवाल के विरुद्ध घटिया हैं - बल्कि अब वे राजनीतक प्रतिबद्धता के मामले में भी एक 'भाजपाई' होने के कारण जो सांप्रदायिक हैं - और अपने वायदों से पलटे मोदी की कृपा आश्रित और उनकी समर्थक होने के नाते भी - और भी घटिया हैं ....
// इसलिए एक हस्ती और एक व्यक्ति की उपरोक्त तुलना में मैं अरविन्द केजरीवाल की हस्ती को किरण बेदी से बहुत ऊपर आँकता और मानता हूँ !!!! //
और हाँ - अभी भी यदि किसी भक्त को तुलना करने का शौक बच गया हो तो कोई बात नहीं - मोदी और क्रांतिकारी केजरीवाल की भी तुलना कर लेंगे - पर सही वक्त पर फिर कभी - इसी अंदाज़ में !!!! जय हिन्द !!!!
मोटे तौर पर बहस में एक पक्ष ये कह रहा है कि अब जब किरण बेदी भाजपा में आ गई हैं तो वे अच्छी कैसे हो गईं और पहले गलत क्यों थीं ? और एक पक्ष ये पूछ रहा है कि भाजपा में आने के पहले किरण बेदी यदि अच्छी थीं तो वो आज क्यों गलत हो गईं ???? आदि इत्यादि ....
मैं ऐसी अपरिपक्व बातों पर अपनी-अपनी सुविधा और मौकापरस्ती के उद्देश्य से की जा रही बहस को ख़ारिज करता हूँ .... और अपनी विवेचना और अभिमत आपके समक्ष रखता हूँ !!!!
// सर्वप्रथम तो मैं भाजपाइयों और किरण बेदी को चैलेंज करता हूँ कि यदि बहुत शौक है किरण बेदी और केजरीवाल की तुलना करने का तो किरण बेदी भी पहले अपने दमखम से एक राजनीतिक पार्टी बना के बताएं ???? याद रहे मौकापरस्ती का घटिया परिचय देते हुए एक घटिया पार्टी ज्वाइन करने में तो एक दिन लगता है बल्कि आजकल तो बस एक मिस कॉल - पर 'आप' जैसी पार्टी का निर्माण करने में एक विशेष योग्यता दूरदर्शिता कड़ी मेहनत दृढ़संकल्प परिपक्वता सही नीयत और कई वर्ष का समय लगता है - ये कोई बच्चों और टुच्चों का खेल नहीं है - समझे श्रीमान श्रीमती ?? //
आगे मैं पूछना चाहता हूँ कि एक भाजपाई की क्या परिभाषा है - यही ना कि वो भाजपा में हैं ?
यानि आज से ५ दिन पहले किरण बेदी भाजपाई नहीं थीं .... पर आज वो भाजपाई हैं !!
और किरण बेदी कोई निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ रहीं है - और वो भाजपा मुख्यमंत्री की ही तो उम्मीदवार हैं - और यदि वो मुख्यमंत्री बनती हैं या वो केवल एक विधायक ही चुन के आती हैं - तो भी क्या वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेंगी ? क्या तब उन पर पार्टी अनुरूप चलने का दायित्व और मजबूरी नहीं होगी ? क्या तब उनको पार्टी व्हिप मान्य नहीं करनी होगी ? क्या मोदी-शाह की इच्छा अनुसार कार्य करना आवश्यक नहीं होगा ? क्या तब उनको अपने 6P के अलावा 10X 50Y 100Z आड़े नहीं आएंगे ??
मित्रों ये बात अच्छे से समझने की आवश्यकता है कि अब जबकि किरण बेदी एक भाजपाई भी हो गईं हैं अतः उनका स्वतंत्र आंकलन करना बेमानी होगा .... ठीक वैसे ही जैसे अरविन्द केजरीवाल के द्वारा जन आंदोलन छोड़ 'आप' पार्टी बनाने के बाद उनका भी आंकलन स्वतंत्र रूप से नहीं होता है - बल्कि उनका आंकलन एक राजनीतिक नेता और 'आप' पार्टी के प्रमुख के रूप में होता है ....
मसलन जब सोमनाथ भारती या फर्जी स्टिंग CD जैसे प्रकरण हुए - अभी दो उम्मीदवारों का टिकट काटने का वाकया हुआ - जब तब बिन्नी अन्ना शज़िआ किरण आदि के बारे में बातें उछली - तो क्या हुआ ? प्रश्न केजरीवाल के समक्ष रखे गए कि नहीं ? और क्या केजरीवाल ने सभी प्रश्नों के जवाब दिए कि नहीं ? और क्या वे जवाब एक पार्टी प्रमुख की हैसियत से दिए गए कि नहीं ? वो भाग तो नहीं गए कि मैं तो केजरीवाल हूँ जाओ उनसे पूछो जिनसे ये सवाल संबंधित हैं ? नहीं ना !! .... यानि ये सिद्ध होता है कि अब केजरीवाल केवल केजरीवाल नहीं हैं वो एक 'आपियन' भी हैं - वो 'आप' पार्टी के प्रमुख भी हैं - और उस पार्टी के प्रति जवाबदेह भी !!!!
इसलिए अब क्योंकि अरविन्द केजरीवाल 'आपियन' हैं और किरण बेदी 'भाजपाई' इसलिए यदि उनकी राजनीतिक तुलना करनी ही है तो ये तुलना समग्र रूप से ही करना होगी .... उनकी व्यक्तिगत गुणदोष के अलावा उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के गुणदोष भी देखने ही होंगे !!!!
इसलिए मैं पाता हूँ कि मौकापरस्त बदनीयत बड़बोली फेंकू किरण बेदी न केवल व्यक्तिगत गुणदोष में क्रांतिकारी ईमानदार अरविन्द केजरीवाल के विरुद्ध घटिया हैं - बल्कि अब वे राजनीतक प्रतिबद्धता के मामले में भी एक 'भाजपाई' होने के कारण जो सांप्रदायिक हैं - और अपने वायदों से पलटे मोदी की कृपा आश्रित और उनकी समर्थक होने के नाते भी - और भी घटिया हैं ....
// इसलिए एक हस्ती और एक व्यक्ति की उपरोक्त तुलना में मैं अरविन्द केजरीवाल की हस्ती को किरण बेदी से बहुत ऊपर आँकता और मानता हूँ !!!! //
और हाँ - अभी भी यदि किसी भक्त को तुलना करने का शौक बच गया हो तो कोई बात नहीं - मोदी और क्रांतिकारी केजरीवाल की भी तुलना कर लेंगे - पर सही वक्त पर फिर कभी - इसी अंदाज़ में !!!! जय हिन्द !!!!
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