Sunday 18 January 2015

//// भक्तों के लिए ये "मिस्ट्री" हो सकती है - पर मेरे लिए ये "ओपन सीक्रेट" है !! ////

कल एक साक्षात्कार में भाजपा की अब नंबर २ की स्थापित फेंकू नेता यह बता रहीं थीं कि वो कैसे भाजपा के नंबर १ के फेंकू नेता से प्रभावित हो भाजपा में शामिल हुईं !!!!
तभी पत्रकार ने इस आशय के कुछ सटीक प्रश्न छोड़ दिए कि - ज़रा खुल के बताएं कि बात कैसे शुरू हुई ? कहाँ से शुरू हुई ? किस ने पहल करी ? किसका फ़ोन आया गया था ? आदि इत्यादि ....
और जनाब जो जवाब आया मुझे अब तक गुदगुदा रहा है .... आप भी आनंद लीजिये ....
जवाब था - मुझे कुछ नहीं मालूम - कब क्या हो गया कैसे हो गया - नहीं मालूम - मैंने कुछ किया या मुझसे कुछ अपने आप हो गया - नहीं मालूम - ये तो अब "मिस्ट्री" है - मेरे लिए भी ये बहुत बड़ी "मिस्ट्री" है - आदि इत्यादि ....
और ये कहते हुए दार्शनिकता वाले स्टाइल की भोंडी एक्टिंग की भरपूर कोशिश भी की जा रही थी .... जैसे मनोज कुमार से पूछा गया हो कि मानवता क्या होती है - और ....
मेरी प्रतिक्रिया >>>>
> जिन ने खुद क्या कर दिया - नहीं मालूम ....
> जिन को वो खुद क्या कर रहे हैं - नहीं मालूम ....
> जिन से खुद क्या हो गया - नहीं मालूम ....
> जिन से क्या करवा लिया गया - नहीं मालूम ....
> जिन से क्या करवाया जाना है - नहीं मालूम ....
> पर जिनको ये अच्छे से मालूम है कि अरविन्द केजरीवाल क्या गलत करते हैं - क्यूँ गलत करते हैं - कितना गलत करते हैं - कब गलत करते हैं - वो झूठ की फैक्ट्री कैसे चलाते हैं - फैक्ट्री कहाँ चलती है - कितने झूठ रोज़ बनाती है - आदि इत्यादि ....
मित्रों !!!! ऐसे लोगों को आम भाषा में मदहोश या टुन्न या बावला या पागल कहते हैं - हमारी मालवी भाषा में एबला या एबली या फिर बेंडा या बेंडी  भी कहते हैं ....
और राजनितिक भाषा में "शातिर" - कृपया सावधान रहिएगा !!!!

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