Tuesday 20 January 2015

//// नामी-गरामी बड़बोलों की पार्टी - बहस से परहेज़ क्यों ?? ////

केजरीवाल ने किरण बेदी और उनके बीच डिबेट हेतु प्रस्ताव रखा ....
किरण बेदी ने इंकार कर दिया ....
दलील दी कि बहस क्यों करें - अभी तो डिलीवरी का समय है ....
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा बोले कि बहस करने के लिए वो डिबेटर लोग मौजूद हैं - और डिबेट होती रहती है - इसलिए ही पार्टी प्रवक्ता होते हैं जो अपनी और पार्टी की बात रखते हैं और बहस करते रहते हैं - फिर परफ़ॉर्मर यानि जिनको परफॉर्म करना है वो क्यों बहस करें ??
मेरी प्रतिक्रिया >>>>
परफॉरमेंस का समय कब आता है - डिलीवरी कब होती है - हनीमून पीरियड क्या होता है कितना होता है .... आदि विषयों में भाजपा कच्ची है ....
इनको तो बस एक बात मालूम है कि हिन्दू महिलाओं को ४ बच्चे पैदा करने चाहिए !!!!
मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि किरण बेदी जी को चुनाव पूर्व डिलीवर क्या करना है ? अरे उन्हें तो मात्र अपना और अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार करना है - लेकिन न जाने क्यों वो डिलीवर करने की बात कर रहीं हैं .... और इसके उलट एक हमारे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें डिलीवर करना है और परफॉर्म भी करना है - पर वे जब तब चुनाव प्रचार ही करते रहते हैं .... तो क्या संबित पात्रा ये भी बताएँगे कि भाई चुनाव रैली में भी पार्टी प्रवक्ता ही क्यों नहीं आ कर अपनी बात बता जाते ??
मित्रों असल बात तो ये है कि मेरे अनुसार भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसके सिद्धांत जरा खुल के बताने लायक नहीं हैं - मसलन ये कभी भी खुल के ये नहीं बता सकते कि ये सेक्युलर नहीं हैं - पर इन्हे झक मार कर सेक्युलर पेश आना पड़ता है - मसलन ये अभी ऐसा खुल कर नहीं बोल सकते कि इन्होनें तय कर लिया है कि अपनी राजनितिक शक्ति के बल पर सभी पार्टियों और अन्य गुटों को तोड़कर अपनी राजनीतिक शक्ति को और बढ़ाते रहो - पर क्योंकि कर यही रहे हैं इसलिए इस बहस से भी बचना इनकी मजबूरी है ....
और शायद इसलिए ही कई मामलों में इनका एक स्टैंड नहीं रहता है - और इसलिए ये नामी-गरामी  बड़बोलों की पार्टी है जैसे कि मोदी जी और किरण बेदी - जिनसे आप एक तरफ़ा घंटो बुलवा लो पर जैसे ही मामला आमने सामने बहस और मुद्दों का आ जाए तो ये असहज हो जाते हैं - बहस में भी चिल्ला चोट करने लगते हैं - मुद्दों की बात कभी नहीं करते - क्योंकि इनके पास कई बातों का जवाब ही नहीं है - और इनके कई स्पष्ट विरोधाभास जनता के समक्ष में आ चुके हैं - और कई संभावित प्रश्नों से तो इनकी रूह कांप जाती है !!!!
और इसलिए ये मुद्दों की बहस ना तो कभी कर सकते हैं और ना ही करेंगे - अतः आपको ही स्वयं अपने दिमाग से हर बात को तर्क के साथ नाप तोल कर उचित निर्णय करने होंगे !!!! धन्यवाद !!!!

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