Thursday 29 January 2015

//// 'अमरीकन दोस्त' सही या 'देसी लंगोटिये' ?? .... ////

संविधान की प्रस्तावना में से "सेक्युलर" और "सोशलिस्ट" शब्दों को निकालने पर विवाद हो चला है - मूल रूप से ये दोनों शब्द संविधान में नहीं थे - और १९७६ में ये दोनों शब्द संविधान की प्रस्तावना में समाविष्ट किए गए थे ....
विवाद में कूदते हुए और अग्नि हवा देते हुए अब शिवसेना ने बयान दे दिया है कि - संविधान में से इन दोनों शब्दों को विलोपित कर देना चाहिए और इस देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए क्योंकि ये देश ना तो सेक्युलर था ना है और ना ही हो सकता है - आदि !!!!
प्रतिक्रिया में मेरा महत्वपूर्ण प्रश्न ....
संभवतः हमेशा 'हाइप-हाइप' करने वाले पर मुद्दों और मौकों पर चुप हो जाने वाले नौलखटकिया परिधान मंत्री मौंदी क्या ये बताएँगे कि उनके 'अमरीकन दोस्त' बराक सही बोल गए या उनके 'देसी लंगोटिये दोस्त' शिवसैनिक सही बोल रहे हैं ????
ध्यान रहे - जम्मू कश्मीर में सरकार बनानी है - और महाराष्ट्र में शिवसेना रोज़ आँख दिखा रही है - और उधर संघी बजरंगी विहिप वाले बाहें ताने खड़े है - और जनाब दिल्ली में चुनाव सर पर हैं - और केजरीवाल उफान पर हैं - और फेंकू आयरन लेडी को जंग लग गया है - इसलिए जवाब ज़रा सोच समझ कर ही दीजियेगा - या फिर ना भी दीजियेगा तो कोई क्या कर लेगा .... है ना !!!!
तो ठीक है देखते हैं क्या दिल्ली चुनाव बाद भी जवाब देने की हिम्मत जुटा पाएंगे ????

No comments:

Post a Comment