Friday 23 January 2015

//// ये तो गेले बच्चों की तरह रोने लगे .... ////


'आप' पार्टी ने आज किरण बेदी पर भाजपा के एजेंट होने का आरोप लगाया ....
भाजपा द्वारा ये प्रश्न खड़ा किया जा रहा है कि यह आरोप अब क्यों लगाया जा रहा है जब किरण बेदी ने भाजपा ज्वाइन कर ली है - पहले क्यों नहीं लगाया गया ??
और हाँ - स्वयं किरण बेदी आरोप पर अभी तक चुप हैं !!!!

मेरी विवेचना ....
जहाँ तक आरोप लगाने के समय का सवाल है 'आप' पार्टी ने भले नुकसान का आंकलन कर यह तय किया होगा कि अब आरोप लगाया जाए .... और इस प्रकार आरोप लगा दिया गया .... आखिर 'आप' भी एक राजनीतिक पार्टी है .... क्या उसे राजनीति करने का अधिकार नहीं है ?? .... स्वयं भाजपा ने भी किरण बेदी को अपनी अपनी इच्छा और सुविधा के समय मैदान में उतार कर क्या राजनीति नहीं की है ?? राजनीति नहीं की है तो क्या कोई धर्मार्थ का कार्य किया है ?? नहीं ना !!!!
अब जब किरण बेदी राजनीति में उतरी हैं तभी तो उन पर राजनीतिक आरोप लगेंगे - क्या उनको इसके लिए तैयार नहीं रहना चाहिए ??
तो ये कोई 'आप' पार्टी की गंदी राजनीति तो कदापि नहीं हुई - और यदि राजनीति में राजनीति का जवाब राजनीति से दिया भी गया है तो इतनी सकपकाहट क्यों ?

अब आरोप की बात हो जाए - क्योंकि किरण बेदी ने भाजपा ज्वाइन की है तो ये आरोप कि "किरण बेदी भाजपा एजेंट थी" स्वाभाविक रूप से बहुत तार्किक व दमदार लगने लगा है - और क्योंकि ये आरोप अब किरण बेदी पर चिपक सा गया है और चेंट भी गया लगता है तो किरण बेदी के पास यदि इसका जवाब हो तो दे देना चाहिए - और नहीं तो इस मुद्दे पर कलपते हुए चुप बैठे रहो - रोते चिल्लाते रहो अपरिपक्व गेले बच्चों की तरह !!!! नहीं क्या ??

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