Tuesday 6 January 2015

//// सत्ता का 'नशा' और निर्लज्जता का 'हेलमेट' ////

ये बात तो सब मानते हैं कि नशा बुरी चीज़ है - इसमें कई परिवार उजड़ गए - कई ज़िंदगियाँ ख़त्म हो गईं - और नशा छोड़ देने से कई ज़िंदगियाँ बच सकती हैं ....
और ये बात भी सब मानते हैं कि हेलमेट पहनना बहुत जरूरी है - सड़क दुर्घटना में कई मौतें हो चुकीं हैं - और हेलमेट पहनने से कई ज़िंदगियाँ बच सकती हैं ....
पर जनाब इन दोनों समान सी जनहित की बातों के प्रति सरकार का दृष्टिकोण और रवैय्या कितना भिन्न है और क्यों है - ज़रा गौर फरमाइएगा ....
सरकार द्वारा जनहित का हवाला देते हुए हेलमेट पहनने को नियम में प्रावधान कर अनिवार्य बना दिया गया है .... बावजूद इसके कि अधिकाँश लोगों को इसे पहनना और इसको सम्हालते फिरना असुविधाजनक लगता है - और बावजूद नियम के लोग इसे सहर्ष स्वीकार्य नहीं कर सके हैं - पर सरकार है कि नियम पेले पड़ी है - और यदि हेलमेट नहीं पहना तो चालान और जुर्माना .... यानि सीधे सीधे नंबर १ व २ की सरकारी आय - और हेलमेट बनाने वाली कंपनियों से सांठ-गांठ से फायदे सो अलग !!!!
पर इसी सरकार द्वारा नशा करने को नियम में प्रावधान कर जनहित में वर्जित नहीं किया गया है  .... नशे के लिए तो बस मोदी जी प्रवचन कर चुप हो गए - और भी सब नशे को कोसते रहते हैं - और आजकल तो पंजाब में अकालीदल  और भाजपा के बीच इस नशे पर राजनीती भी गज़ब हो रही है - पर इन्होने करना कुछ नहीं है - कारण सभी सरकारें इससे होने वाली कमाई और अन्य अवैधानिक लाभ का मोह त्याग नहीं पायी हैं .... यानी घड़ियाली आंसू !!!!
तो मित्रों उपरोक्त बात से मैं यह सिद्ध करना चाहता हूँ कि >>>>
जनहित गया भाड़ में - सरकार और सरकार में बैठे सत्ताधीशों की सुविधा और फायदे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं - सरकार को आपकी भलाई या ज़िन्दगी की कोई परवाह नहीं है - ये सरकार नशे को बंद करने के लिए कत्तई भी संजीदा नहीं है - और मोदी जी केवल बातें करते हैं करते कुछ नहीं हैं - और ना ही कुछ करने वाले हैं  ....
और मुझे लगता है कि सरकार स्वयं 'नशा' कर 'हेलमेट' पहन बैठ गयी है ....
जी हाँ !! सत्ता का 'नशा' और निर्लज्जता का 'हेलमेट' !!!!

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